निजी स्कूल के टीचरों को कोरोना भत्ता दिये जाने की मांग

कोरबा 13 अगस्त। जिले में लगभग 288 से अधिक निजी स्कूल संचालित है। अधिकांश स्कूलों में आरटीई के अंतर्गत सम्पन्न वर्ग-सरकारी वर्ग के लोग बच्चों को नियम कानून को दरकिनारे कर निशुल्क कोटे में प्रवेश करा लिए है। गरीब तबके लोग प्रवेश से वंचित हो रहे हैं आरटीआई 12, 1 सी योजना भारतीय संसद द्वारा 4 अगस्त 2009 को पारित किया गया था तथा 1 अप्रैल से प्रभावी हो गया छत्तीसगढ़ में आर टी ई 12-1 सी योजना का लाभ 2010-11 से दिया जा रहा है आरटीई 12-1 सी के अंतर्गत गैर अनुदान प्राप्त और गैर अल्पसंखयक के निजी स्कूलों के प्रारंभिक कक्षाओं में 25फीसदी सीट दुर्बल एवं असुविधा ग्रस्त परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित किया गया है, परंतु सक्षम व्यक्तियों द्वारा अपने बच्चों को 25 प्रतिशत के तहत प्रवेश करा रहे हैं जिसके कारण गरीब लोग उसका फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। यह जाच का विषय हैं। एक बार आरटीई की कोटे से प्रवेश के बाद पालक मनचाहे स्कूल न मिलने पर स्कूल बदल दिए जाते हैं। जिससे स्कूल प्रबंघन को परेशानी होती है। यह नियम होनी चाहिए कि आरटीई कोटे से एक बार दाखिला करवाने के बाद पालक चाह कर भी दूसरे स्कूल में दाखिला न करवा सके जब तक स्कूल प्रिंसिपल ना चाहे। इस प्रकार का पोर्टर एवम नियम बनानी चाहिए। अन्यथा स्कूल के प्रिंसिपल को कई प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं।

छत्तीसगढ़ में 6600 से अधिक निजी स्कूल संचालित है कोरोना काल के कारण सभी स्कूलों की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गया है। निजी स्कूलों की फीस ठीक से न आने के कारण स्कूल के टीचरों का वेतन के लिए लाले पड़ रहे हैं जिसके कारण टीचर भी बेरोजगार हो रहे हैं। स्कूल बस परमिट, रोड टेक्स एवम स्कूल के टीचरों के वेतन के लिए स्कूल संचालक लोन लेकर चुकता कर रहे हैं। निजी स्कूल संघ कोरबा के अध्यक्ष परमेस्वर देवांगन, सचिव शिवशंकर जायसवाल, अछ्य दुबे, अनिता साहू ने कलेक्टर एवम डी ई ओ को ज्ञापन के माध्य्म से मांग किये हैं कि निजी स्कूलों के टीचरों को अनुभव के आधार पर शिक्षक भर्ती में छूट प्रदान किया जाए। शिक्षकों को कोरोना भत्ता दी जावे। ताकि अपने परिवार की ठीक से भरण-पोषण कर सके।

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