जल जीवन मिशन में करोड़ों का घोटाला, चीफ इंजीनियर ने शासन को सौंपी जांच रिपोर्ट, पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने की थी शिकायत

डीपीआर घोटाले में विंध्या टेलिलिंक्स पर शक की सुई, राज्यपाल और डिप्टी सीएम को भेजी गई थी शिकायत
रायपुर। छत्तीसगढ़ में चल रहे जल जीवन मिशन के कार्यों में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। आरोप है कि विंध्या टेलिलिंक्स कंपनी ने बिना स्थल निरीक्षण के फर्जी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर करोड़ों रुपये का घोटाला किया। इस मामले की जांच का जिम्मा चीफ इंजीनियर को सौंपा गया था, जिनकी रिपोर्ट अब मिशन संचालक को सौंप दी गई है।
पूर्व गृहमंत्री ने की थी शिकायत, सरकार आई हरकत में मामले की शुरुआत पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर की शिकायत से हुई थी। उन्होंने राज्यपाल रमेश बैस (पूर्व) और डिप्टी सीएम अरुण साव को पत्र भेजकर इस घोटाले की जानकारी दी थी। पत्र में आरोप लगाया गया था कि डीपीआर की तैयारी बिना स्थल निरीक्षण के की गई और कार्यालय में बैठकर मनगढ़ंत दस्तावेज तैयार किए गए।
पीएम की महत्वाकांक्षी योजना में सैकड़ों करोड़ का भ्रष्टाचार!
शिकायत में यह भी कहा गया है कि यह घोटाला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अतिमहत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’ को नुकसान पहुंचाने वाला है। इसमें सैकड़ों करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं पाई गई हैं, जिससे पूरे प्रदेश में पीने के पानी की आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
विधानसभा में भी उठ चुका है मामला
इस मामले की गूंज पहले भी विधानसभा में कई बार सुनाई दे चुकी है, लेकिन अब जब एक वरिष्ठ नेता की ओर से सीधी शिकायत की गई तो सरकार हरकत में आई। रिपोर्ट आने के बाद अब यह स्पष्ट हो सकेगा कि घोटाले की जड़ें कितनी गहरी हैं।
जांच पूरी, अब कार्रवाई की बारी
मिशन संचालक सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने पुष्टि की है कि रिपोर्ट मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि “रिपोर्ट देखने के बाद ही हम आगे की प्रक्रिया तय करेंगे।” अब सवाल यह है कि क्या सरकार दोषियों पर कार्रवाई करेगी या मामला फिर से ठंडे बस्ते में चला जाएगा।