पूर्व् मंत्री ननकीराम कंवर की शिकायत पर केन्द्र सरकार ने मांगी रिपोर्ट

कोरबा-रायपुर 23 मार्च। छत्तीसगढ़ के वन विभाग में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (च्ब्ब्थ्) श्रीनिवास राव के खिलाफ 1,628 वनरक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार और कैम्पा (ब्।डच्।) योजना में अनियमितताओं को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में केंद्र सरकार की पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (सतर्कता शाखा) ने राज्य के प्रमुख सचिव (वन) मनोज कुमार पिंगुआ को जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

यह मामला तब सामने आया जब छत्तीसगढ़ के पूर्व् वन और गृह मंत्री रहे ननकी राम कंवर ने केंद्र सरकार को एक लिखित शिकायत भेजी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग में ब्।डच्। योजना के तहत बड़े पैमाने पर धन की हेराफेरी की गई और वनरक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार हुआ। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने 17 मार्च 2025 को राज्य सरकार को निर्देशित किया कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

कैसे हुआ यह घोटाला?
वन विभाग में ब्।डच्। योजना (ब्वउचमदेंजवतल ।ििवतमेजंजपवद थ्नदक डंदंहमउमदज ंदक च्संददपदह ।नजीवतपजल) के तहत वनीकरण और पर्यावरण संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये का प्रावधान किया जाता है। आरोप है कि इस योजना के नाम पर कागजों में ही कार्यों को दर्शाकर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई। वहीं, 1,628 वनरक्षकों की भर्ती में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का आरोप है। आरोपों के अनुसारकृ भर्ती प्रक्रिया में धांधलीः योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर पैसे लेकर भर्ती की गई।

रिजल्ट में हेरफेरर: पहले से तय उम्मीदवारों को पास कराया गया। राजनीतिक हस्तक्षेपः प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों को अवैध रूप से नौकरी दी गई। नियमों का उल्लंघनः भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए बिना, मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गईं।

वन विभाग पर उठे सवाल
इस खुलासे के बाद छत्तीसगढ़ के वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। च्ब्ब्थ् श्रीनिवास राव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने से विभाग की साख दांव पर लग गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ब्।डच्। योजना के तहत वनीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई है, तो यह पर्यावरण के लिए भी एक बड़ा अपराध है। वहीं, हजारों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर उनके हक की नौकरियां बेची गईं, तो यह एक सामाजिक अपराध भी है।

अब आगे क्या?
केंद्र सरकार ने राज्य को निर्देश दिया है कि वह इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करे।
अगर आरोप सही पाए गए तो च्ब्ब्थ् श्रीनिवास राव समेत कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।
भ्रष्टाचार की पुष्टि होने पर मामले में उच्च स्तरीय जांच कमेटी भी बैठाई जा सकती है।

अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है या फिर इसे भी अन्य वन घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। लेकिन यह साफ है कि वन विभाग में गहरी पैठ बना चुके भ्रष्टाचार का यह मामला अब राजनीतिक और कानूनी मोर्चे पर तूल पकड़ सकता है।

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