नेशनल हाइवे: कटघोरा मुआवजा घोटाले की जांच ठंडे बस्ते में, क्या ई ओ डब्ल्यू करेगा इसकी जांच..?

कोरबा। राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक भारतमाला परियोजना के तहत सड़क निर्माण में हुए 220 करोड़ रुपयों से अधिक के मुआवजा घोटाला की तर्ज पर कोरबा जिले में करोड़ों रुपयों का मुआवजा घोटाला हुआ है। इस घोटाले में नेता, व्यापारी और राजस्व विभाग के कई अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं।
दरअसल बिलासपुर से अम्बिकापुर तक नेशनल हाईवे क्रमांक 130 का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस सड़क के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसी प्रक्रिया में कटघोरा से पतरापाली के बीच जमीन अधिग्रहण में बड़ी गड़बड़ी हुई थी। लेकिन ना तो उसकी जांच हुई और न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई की गई। जब दावा आपत्ति हुआ उस समय अचानक 223 से अधिक प्रकरण बढ़ गए थे, जिसमें से अधिकांश बंटाकन के मामले थे। इस मामले की शिकायत पर जांच अभी तक लंबित है।
जानकारी के अनुसार मुआवजा वितरण में सबसे अधिक गड़बड़ी कुटेलामुंड़ा में हुई थी। भारतमाला प्रोजेक्ट रायपुर में जिस तरह से गड़बड़ी की गई, उसी तरह जिले में भी हुई है। कटघोरा पतरापाली के बीच जमीन अधिग्रहण के लिए सबसे पहले प्रकाशन 13 अक्टूबर 2018 में कराया गया था। उस समय जमीन अधिग्रहण के 814 प्रकरण बनाए गए थे। इसके बाद दावा आपत्ति मांगा गया था, जिसमें 223 प्रकरण बढ़ गए थे। जिसकी वजह से संख्या बढ़कर 1037 हो गई थी । कटघोरा मदनपुर में पहले 90 प्रकरण बनाए गए थे, जिनकी संख्या 143 पहुंच गई थी । इसी तरह पोड़ी उपरोड़ा में भी प्रकरण की संख्या बढ़ गई थी। आमाखोखरा में सरकारी जमीन है, लेकिन जुराली, कापुबहरा और सुतर्रा में 137 के बजाय 266 प्रकरण हो गये थे। यहां पर 79 प्रकरण मुआवजे के बढ़ गए थे, जिसके कारण ही करीब 50 लोगों का मुआवजा अभी भी रूका हुआ है। यही नहीं कुटेलामुंडा के किसानों ने जमीन में फर्जीवाड़ा की शिकायत की थी। जांच के बाद यहां के पटवारी हातिम को निलंबित कर दिया गया था। ग्रामीणों का आरोप था कि किसानों की जमीन को दूसरों के नाम से रजिस्ट्री करा दी गई थी। इसके बाद भी गड़बड़ी होती रही। बीच में ईडी ने रजिस्ट्री कार्यालय के साथ पटवारियों को भी बुलाया था। लेकिन बाद में जांच प्रक्रिया ही रुक गई।
इन गांवों की जमीन का हुआ अधिग्रहण
कटघोरा तहसील के कटघोरा, मदनपुर, पाली तहसील के बक्साही, बनबांधा, चैतमा, चटुवाभौना, चेपा, दमिया, धौराभाठा, डुमरकछार, कांजीपानी, कपोट, कुटेलामुड़ा, मादन, मदनपुर, माखनपुर, मुनगाडीह, पाली, राहाडीह, रंगोले, सराईपाली, धुईछुवां, पोड़ी उपरोड़ा तहसील के आमाखोखरा, जुराली, कापूबहरा व सुतर्रा शामिल हैं।
नेता, व्यापारी,अधिकारी, सब शामिल
अधिग्रहण के नियमों का तोड़ निकालकर लाभ लेने वाले लोगों में विभिन्न राजनीतिक दल के नेता, कटघोरा-कोरबा के बड़े व्यापारी व अधिकारी भी शामिल हैं। यह सारा खेल पिछले तीन महीने के दौरान तब हुआ है जब प्रशासनिक अमला चुनावी तैयारियों में जुटा था। 15 अगस्त 2018 के बाद अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकती थी।
क्या है भूमि अधिग्रहण नियम?
भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी। इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा। इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा। इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे।
क्या ई ओ डब्ल्यू करेगा जांच?
रायपुर से विशाखपट्टनम भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाले की जांच ई ओ डब्ल्यू ने शुरू कर दी है। कोरबा- कटघोरा के घोटाले को दबा दिया गया है। क्या ई ओ डब्ल्यू इस मामले की भी जांच करेगा?