बिलासपुर। जिले में सांप डसने से 431 लोगों की मौत हुई है। अधिकारियों ने मृतकों के परिजन को 17 करोड़ 24 लाख रुपये का मुआवजा भी बांट दिया। अब इस मामले को बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने सवाल उठाया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने जांच कराने का आश्वासन सदन को दिया है। सवाल यह है की निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए चालीस चक्कर लगवाने वाला विभाग मुआवजा बांटने में इतना उदार कैसे हो गया ?

छत्तीसगढ़ में सर्पदंश के मुआवजे के नाम पर करोड़ों रुपए की धांधली का मामला सामने आया है। दरअसल जशपुर जिसे छत्तीसगढ़ का नागलोक कहा जाता है वहां सर्पदंश से केवल 96 लोगों की मौत हुई है। इसके लिए तीन करोड़ रूपये का मुआवजा दिया गया है। जबकि बिलासपुर जिले में सांप के काटने से 431 लोगों की मौत हुई है और 17 करोड़ 24 लाख रूपये का मुआवजा मृतकों के परिजन को बांटा गया है। इस मामले को लेकर बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने विधानसभा में प्रश्न उठाया और सर्प दंश से मौत के नाम पर फर्जी मुआवजे की सचिव स्तरीय जांच कराने की मांग की।

शुक्ला ने सदन को बताया कि जशपुर जिसे नाग लोक कहा जाता है, वहां 96 मौतों पर 3 करोड़ का मुआवजा दिया गया है जबकि बिलासपुर में 431 मौतों पर 17 करोड़ 24 लाख बांटे गए है। उन्होंने आरोप लगाया कि रैकेट बनाकर फर्जी भुगतान किया गया है। आपको बता दे सर्प दंश से मौत पर परिजन को सरकार की ओर से 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है। इस पर मंत्री टंक राम वर्मा ने कहा, “यदि फर्जी प्रकरण बनाकर मुआवजा दिया गया है, तो निश्चित रूप से जांच होगी ”।

विधायक धरमलाल कौशिक ने भी संदेह जताते हुए कहा बिलासपुर का मुआवजा चार गुना से ज्यादा है। इसकी जांच आवश्यक है। इस पूरे मामले को सुनने के बाद स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने पूछा कि वहां सांप फर्जी था या आदमी ? चर्चा के बीच विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि हमने तो आज तक यही सुना है और जाना है कि जशपुर नागलोक है। जशपुर से बिलासपुर कब नागलोक बन गया पता ही नहीं चला।

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