गेवरा खदान का दायरा और बढ़ेगा, भविष्य में 50 लाख टन से ज्यादा कोयला खनन करने की योजना

कोरबा 11 अगस्त। भारत ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी खुली कोयला खदान के रूप में पहचानी जा रही गेवरा खदान का दायरा भविष्य में और बढ़ेगा। इस इलाके में कोयला का अपार भंडार होने का पता चलने के बाद सर्वेक्षण और अन्य प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी है। आगामी कालख्रंड में यहां से लगभग 50 लाख टन कोयला खनन करने की योजना है। एसईसीएल प्रबंधन की योजना के अनुसार सरकार के जरिये संबंधित क्षेत्रों के अधिग्रहण का काम कर लिया गया है। जबकि यहां से संबंधित लोगों के लिए नई बसाहट का निर्णय लंबित है।

कोल इंडिया की लाभकारी कंपनियों में साउथ इस्टर्न कोलफील्डस लिमिटेड का नाम शामिल है। जिसके लिए उत्पादन संबंधी सर्वाधिक कार्य कोरबा जिले में स्थित कोयला खदानों द्वारा किया जाता है। यहां पर ही गेवरा क्षेत्र की खदाने एशिया में चर्चित है, जो अब की स्थिति में 45 लाख टन कोयला का सालाना उत्पादन कर रही है। कई परियोजनाओं को मिलाकर अकेले गेवरा क्षेत्र से ही इतना कोयला अर्जित हो रहा है, जिससे एसईसीएल की लक्ष्य पूर्ति में आसानी हो रही है। इससे पहले दीपका विस्तार क्षेत्र के दायरे को बढ़ाने से जुड़ी जमीनी दिक्कतों को लाकडाऊन कालखंड में हल कर लिया गया। वहीं भविष्य में गेवरा खदान के क्षेत्रफल को और ज्यादा बढ़ाने की तैयारी है। इसके अंतर्गत कुसमुंडा के पास स्थित नरईबोध और जेलपारा को खदान बनाया जाएगा। काफी समय से यह क्षेत्र एसईसीएल के नजर में था। यहां कोयला भंडार का सर्वेक्षण कराने के साथ अपेक्षित नतीजे प्राप्त होने पर कवायद की गई। बीते वर्षों में इन दोनों क्षेत्रों की आवासीय और गैर आवासीय जमीन को अधिग्रहित कर लिया गया है। उक्तानुसार जरूरी राहत प्रावधानों के अंतर्गत दी जा चुकी है। इन दोनों गांवों के लोगों को बसाहट देने के लिए कई बार बैठक हो चुकी है। लेकिन अभी तक स्थान का चयन नहीं किया गया है। कई ग्रामीण बिरदा जाने की बात कहते हैं तो अनेकों ग्रामीण उतरदा में बसना चाहते हैं। लखन राठौर व बीडी महंत के एसईसीएल के अधिकारियों से जाकर मुलाकात की है। इस बारे में अंतिम निर्णय तभी हो सकेगा, जबकि जमीन की उपलब्धता हो सकेगी।

एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा नरईबोध और जेलपारा की जमीन अधिग्रहित करने के साथ संबंधित लोगों को मुआवजा दिया जा चुका है। अधिकांश प्रभावितों को नौकरी भी दे दी गई है। लोगों को पुनर्वास नियमों के अंतर्गत बसाहट प्रदान की जानी है। सरकारी जमीन उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन को पत्र दिए गए है। उक्तानुसार आगामी कार्रवाई वहां से होना है। जमीन मुहैय्या कराने के साथ बसाहट का काम पूरा किया जाएगा।
एस के मोहंती, सीजीएम, गेवरा क्षेत्र

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