खनिज विभाग की निष्क्रियता: बंद घाटों से गीली रेत की ढुलाई, नदी तट से लगे बस्तियों में पानी भरने की आशंका
कोरबा 14 अगस्त। वर्षा शुरू होने के बाद रेत की मनमानी कीमत मिलने से ठेकेदारों की सक्रियता बढ़ गई है। शहर से लगे हसदेव नदी के अलावा नालों के अघोषित घाटों में गीले रेत का उत्खनन हो रहा है। खनिज विभाग की ओर महज प्रकरण दर्ज करने की औपचारिकता की जा रही है। दिन में नदी से रेत निकाल कर कोरबा. चांपा मार्ग किनारे डंप कर दिया जाता है और रात में परिवहन किया जाता है। अघोषित घाट संचालन और खनिज विभाग की निष्क्रियता से तटों में मिट्टी कटाव हो रहा है। अधिक वर्षा की स्थिति में नदी तट से लगे बस्तियों में पानी भरने की आशंका बनी है।
वर्षा में रेत की आवश्यकता और बढ़ी कीमत में मांग को देखते हुए अवैध भंडारण और आपूर्ति का काम तेजी से चल रहा है। बारिश जारी होने के कारण खनिज ने 15 जून से रेत की खुदाई और परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद भी घाटों से गीले रेत को निकालने का क्रम जारी है। रेत को निकाल सड़कों में डंप कर दिया है। यह क्रम पूरे दिन जारी रहता है। इस दौरान पांच से सात ट्रैक्टर रेत को डंप किया जाता है। रात के समय नदी में जाकर रेत निकालने मे असुविधा होती है जबकि सड़क किनारे डंप किए रेत को परिवहन करने में आसानी होती है। पूरे मामले मे गौर किया जाए तो खनिज माफिया संगठित होकर तरह के कार्य को अंजाम दे रहे हैं।
बेतरतीब तरीके से अघोषित घाटों से मिट्टी का कटाव होने से जल प्रवाह का विस्तार बढऩे लगा है। माह के शुरूआत में तीन दिन की झड़ी दर्री बांध के गेट को खोलना पड़ा इस दौरान नदी तट के निचली बस्तियों में पानी भर गया था। रेत की चोरी वर्तमान में गाढ़ी कमाई का जरिया बन चुका है। निर्माण कार्य से लगे ठेकेदारों के अलावा फ्लाईएश कारोबार से जुड़े लोगों के लिए भी आवश्यकता होने से अवैध भंडारण को प्रश्रय मिल रहा है। बताना होगा कि हसदेव के नदी घाटों में रेत तस्करों ने कई जगहों में ट्रैक्टर के आने जाने के लिए रास्ता बना लिया है। वाहन मालिक भी ट्रैक्टर चालक व रेत ढुलाई करने वाले मजदूरों को अधिक मजदूरी की सब्जबाग दिखाकर काम करा रहे हैं। ऐसे में कभी भी बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी है।
वर्षा के समय चोरी में इजाफा होना नई बात नही है। प्रकरण में और भी इजाफा हो सकता है। टास्क फोर्स समिति की ओर से सहयोग नहीं किए जाने कारण रेत के अवैध परिवहन का कारोबार फल फूल रहा है। टास्क फोर्स में खनिज के अलावा वन और पुलिस विभाग को भी शामिल किया गया है। ज्यादातर खनिज का अवैध परिवहन वन मार्गों से होती है। इसमें विभागीय अधिकारियों की ओर से कार्रवाई नहीं की जाती। पुलिस विभाग की ओर एक दो वाहन को पकड़ भी लिया जाता है तो लेनदेन कर अथवा प्रश्रय देकर छोड़ दिया जाता है। रेत की चोरी शहरी के अलावा गामीण और उपनगरीय क्षेत्रों में ही किया जा रहा। अब तक खनिज विभाग की ओर दर्ज 78 प्रकरण में 43 केवल शहरी क्षेत्र के ही हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि फील्ड अधिकारियों की कार्रवाई केवल सीमित क्षेत्र में ही है। जितने जटिल शहरी क्षेत्र के घाट हैंए उससे अधिक सरल गांव के नदी तट के घाट हैं। जिससे सहूलियत से रेती मिल जाती है। यही वजह है कि हाइवा से भी रेत की आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों से हो रही है। धनगांव मार्ग से रेत से भारी वाहनों से रेत सप्लाई किया जा रहा है।