दीपिका माइंस के कोयला की बर्निग पावर दूसरों की तुलना में ज्यादा, हैंड लोडिंग को बढ़ावा

कोरबा 06 अप्रैल। नियम कायदों से हटकर कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की दीपिका माइंस में कोयला की हैंड लोडिंग को लगातार बढ़ावा मिल रहा है। इसके लिए कई कोल कर्मी और सुरक्षा से जुड़े लोग कोयला डीलर्स से प्रति टन के पीछे 100 रुपये वसूल कर रहे हैं। कई तरह के सवालों के उठ खड़े होने के बीच बताया जा रहा है कि दीपिका माइंस के कोयला की बर्निग पावर दूसरों की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली है इसलिए इसकी मांग अन्य राज्यों की मंडियों में बेहतर बनी हुई है । लेकिन मूल सवाल यह है कि आखिर खदानों में हैंड लोडिंग कौन से नियम के अंतर्गत कराई जा रही है ।

एक बार फिर यह मामला सुर्खियां बटोर रहा है। खबर के अनुसार कोल इंडिया लिमिटेड की प्रमुख कंपनी में शामिल कोरबा जिले की इस खदान के कोयला की वैरायटी और क्वालिटी की चर्चा काफी समय से आस पास में होती रही है। जिस तरह से नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड के कोयला कि पूछ परख उसकी ज्वलनशीलता संबंधी विशेषता के कारण होती है, कमोबेश वही स्थिति दीपका माइंस के कोयला के साथ बनी हुई है। इसलिए छत्तीसगढ़ तो छोडि़एए उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक की मंडियों में दीपिका के कोयला की चमक कुछ खास है। वाराणसी की चंदौली और पश्चिम बंगाल की बदरहाट कोयला मंडी में सबसे अधिक मांग यहां के कोयला की बनी हुई है। जानकारों का कहना है कि इन्हीं कारणों से डीओ और लिंकेज का कोयला यहां से उठाने वाला वर्ग मनमाने तरीके से स्टीम कोयला की छटाई कराने में लगा हुआ। आश्चर्यजनक रूप से बड़ी संख्या में मजदूर भीतर लोडिंग पॉइंट में भेजने के साथ वहां से हैंड लोडिंग कराई जा रही है। दावा किया जा रहा है कि प्रबंधन के कुछ इंस्पेक्टर से लेकर कर्मी और सुरक्षा तंत्र के साथ अच्छे रिश्ते इस मामले में बहुत शानदार भूमिका निभा रहे हैं। इनके सहयोगात्मक रवैया से इस तरह की गतिविधियां आसानी से फल फूल रही हैं और परवान चढ़ रही है।

बताया जा रहा है कि इस तरह के काम को बखूबी अंजाम देने के लिए कारोबारियों से 100 प्रति टन के हिसाब से वसूली की जा रही है। कहां जा रहा है कि रियायत देने के लिए इतना सरचार्ज देना तो बनता ही है। इसके जरिए मन मुताबिक लाभ अर्जित करने के रास्ते मिल रहे हैं तो कोई इस पर आपत्ति कैसे कर सकता है। लेकिन इन कारणों से कंपनी स्तर पर बनाई हुई व्यवस्था और नियम कायदों का दम निकल रहा है और यह सब अवैध गतिविधियों को मजबूती देने का माध्यम भी बन रहा है।

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