राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को जानिए, प्रार्थना बताता है- सच..!
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को लेकर वर्षों से सुनियोजित तरीके से भ्रांतियां फैलाने का प्रयास किया जाता रहा है। कांग्रेस और वामपंथी दलों के अलावा मुस्लिम तुष्टिकरण में जुटे कुछ तथाकथित क्षेत्रीय राजनीतिक दल लगातार ऐसा अभियान चलाते रहे हैं और अभी भी ऐसी कोशिश जारी है। मगर इन सबके बाद भी संघ की शक्ति लगातार बढ़ रही है। संघ को जानना है तो इसकी शाखा में जाना चाहिए। जो शाखा नहीं जा सकते, वे संघ की प्रार्थना को पढ़ें और संघ को समझें।
संस्कृत में लिखी गई RSS की प्रार्थना का हिन्दी में अनुवाद … पढ़िए और सोचिये कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भारत माता के प्रति भावना क्या है 🚩
- नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोsहम्। 🚩
हे प्यार करने वाली मातृभूमि! मैं तुझे सदा (सदैव) नमस्कार करता हूँ। तूने मेरा सुख से पालन-पोषण किया है। 🚩 - महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे, पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते।। १।। 🚩
हे महामंगलमयी पुण्यभूमि! तेरे ही कार्य में मेरा यह शरीर अर्पण हो। मैं तुझे बारम्बार नमस्कार करता हूँ। 🚩 - प्रभो शक्ति मन्हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता, इमे सादरं त्वाम नमामो वयम् त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं, शुभामाशिषम देहि तत्पूर्तये। 🚩
हे सर्वशक्तिशाली परमेश्वर! हम हिन्दूराष्ट्र के सुपुत्र तुझे आदर सहित प्रणाम करते है। तेरे ही कार्य के लिए हमने अपनी कमर कसी है। उसकी पूर्ति के लिए हमें अपना शुभाशीर्वाद दे। 🚩 - अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिम, सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्, श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं, स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत्।। २।। 🚩
हे प्रभु! हमें ऐसी शक्ति दे, जिसे विश्व में कभी कोई चुनौती न दे सके, ऐसा शुद्ध चारित्र्य दे जिसके समक्ष सम्पूर्ण विश्व नतमस्तक हो जाये। ऐसा ज्ञान दे कि स्वयं के द्वारा स्वीकृत किया गया यह कंटकाकीर्ण मार्ग सुगम हो जाये। 🚩 - समुत्कर्षनिःश्रेयसस्यैकमुग्रं, परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा, हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्राsनिशम्। 🚩
उग्र वीरव्रती की भावना हम में उत्स्फूर्त होती रहे, जो उच्चतम आध्यात्मिक सुख एवं महानतम ऐहिक समृद्धि प्राप्त करने का एकमेव श्रेष्ठतम साधन है। तीव्र एवं अखंड ध्येयनिष्ठा हमारे अंतःकरणों में सदैव जागती रहे। 🚩 - विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्, विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्। परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं, समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्।। ३।। ।। भारत माता की जय।। 🚩
हे माँ तेरी कृपा से हमारी यह विजयशालिनी संघठित कार्यशक्ति हमारे धर्म का सरंक्षण कर इस राष्ट्र को वैभव के उच्चतम शिखर पर पहुँचाने में समर्थ हो। भारत माता की जय।.. 🚩
अब आप ही विचार करे कि RSS की विचारधारा कैसी है… 🚩🚩
नफरत और घृणा का चश्मा उतार कर संघ को देखने की कोशिश करें। साथ ही संघ को समझना है तो संघ की शाखाओं में आकर समझें।
संघ ने कभी यह दावा नहीं किया वो हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व करता है बल्कि यह समझता है कि संघ समाज का हिस्सा है और राष्ट्रीय मुद्दों के लिए समाज ही प्रतिनिधित्व करता है। संघ व्यक्ति निर्माण पर अपना ध्यान केंद्रित करता है। समाज को दोष देना निष्क्रिय लोगों का काम है। संघ चाहता है व्यक्ति निर्माण के रास्ते में समाज शक्तिशाली, संगठित एवं राष्ट्र के लिए काम करने वाला हो। जो संघ को साधारणतया नहीं समझता है वह भी जातिवाद का लांछन तो कभी नहीं लगाता क्योंकि वह जानता है किस संघ में जातिवाद का कोई स्थान नहीं है।