भू-विस्थापित संघ 01 दिसंबर से कुसमुंडा खदान महाबंद की तैयारी में जुटा
कोरबा 28 नवंबर। जिले के कुसमुंडा क्षेत्र के भूविस्थापित किसान रोजगार की मांग को लेकर एसईसीएल सीजीएम कुसमुंडा कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं। धरना को लगभग एक माह का समय हो गया है लेकिन एसईसीएल प्रबंधन के कानों में जंू तक नहीं रेंगा है जिससे विस्थापितों में काफी आक्रोश है। अब वे पहली दिसंबर से आंदोलन को तेज कर खदान महाबंद की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए भूविस्थापित लोगों एवं विभिन्न संगठनों से संपर्क कर उनसे समर्थन मांगा जा रहा है।
जानकारी के अनुसार एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना के लिए अधिग्रहित गांवों के ग्रामीण वर्षों से रोजगार की राह ताक रहे हैं वे कार्यालय के चक्कर लगाकर थक चुके हैं अब उनके सब्र का बांध टूट चुका है। कुसमुंडा खदान के लिए वर्ष 1978 से 2004 तक करीब 12 गांवों के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है जिसमें जरहाजेल, बरपाली, दुरपा, खम्हरिया, मनगांव, बरमपुर, दुल्लापुर, जटराज, सोनपुरी, बरकुटा, गेवरा, भैसमा आदि गांव शामिल हैं। अधिग्रहण के वर्षों बाद भी भूविस्थापितों के नौकरी व पुनर्वास का मसला हल नहीं हुआ है। यहां तक जरहाजेल गांव के करीब 250 परिवारों को बसाहट व मुआवजा नहीं मिला है। हालांकि 31 अक्टूबर को जब विस्थापितों ने अपनी ताकत दिखाते हुए एसईसीएल कुसमुंडा खदान के कोल उत्पादन को 12 घंटे तक बाधित कर दिया था तब उनका आक्रोश शांत करने एसईसीएल प्रबंधन पुलिस व जिला प्रशासन का पूरा अमला पहुंच गया था और एक माह में लंबित प्रकरणों के निराकरण का लिखित आश्वासन भी दिया गया था लेकिन प्रबंधन का रवैया अभी भी उदासीन बना हुआ है जिससे भूविस्थापितों में गहरा आक्रोश है। अब भूविस्थापित 1 दिसंबर से कुसमुंडा खदान महाबंद की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के पदाधिकारी लोगों एवं विभिन्न संगठनों से संपर्क कर समर्थन मांग रहे हैं व आंदोलन को सफल बनाने की अपील कर रहे हैं।