मध्यप्रदेश का उज्जैन धरती का स्वर्ग क्यों है? आइये वजह जान लें!

उज्जैन 17 जनवरी। मध्यप्रदेश का उज्जैन धरती का स्वर्ग क्यों है? क्या आप जानते हैं ? नहीं, तो आइए इसकी वजह जान लें।

महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।[1] यह मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित, महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी महत्ता है। इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है, ऐसी मान्यता है। महाकवि कालिदास ने मेघदूत में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। [क] १२३५ ई. में इल्तुत्मिश के द्वारा इस प्राचीन मंदिर का विध्वंस किए जाने के बाद से यहां जो भी शासक रहे, उन्होंने इस मंदिर के जीर्णोद्धार और सौन्दर्यीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया, इसीलिए मंदिर अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त कर सका है। प्रतिवर्ष और सिंहस्थ के पूर्व इस मंदिर को सुसज्जित किया जाता है।

उज्जैन एकमात्र स्थान है जहाँ शक्तिपीठ भी है, ज्योतिर्लिंग भी है, कुम्भ महापर्व का भी आयोजन किया जाता है ।

यहाँ साढ़े तीन काल विराजमान है
“महाँकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्धकाल भैरव।”

यहाँ तीन गणेश विराजमान है।
“चिंतामन, मंछामन, इच्छामन”

यहाँ 84 महादेव है, यही सात सागर है।।

“ये भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली है।।”

ये मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान है।।

“यही वो स्थान है जिसने महाकवि कालिदास दिए।”

उज्जैन विश्व का एक मात्र स्थान है जहाँ अष्ट चरिंजवियो का मंदिर है, यह वह ८ देवता है जिन्हें अमरता का वरदान है (बाबा गुमानदेव हनुमान अष्ट चरिंजीवि मंदिर)

“राजा विक्रमादित्य ने इस धरा का मान बढ़ाया।।”

विश्व की एक मात्र उत्तर प्रवाह मान क्षिप्रा नदी!!

“इसके शमशान को भी तीर्थ का स्थान प्राप्त है चक्र तीर्थ।

और तो और पूरी दुनिया का केंद्र बिंदु (Central Point) है महाकाल का मंदिर।

महाभारत की एक कथानुसार उज्जैन स्वर्ग है।।

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