रिश्वत लेते बैंक मैनेजर व कैसियर रंगे हाथों गिरफ्तार


कोरबा 23 अपै्रल। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के कोरबा जिले के पाली ब्रांच मैनेजर एवं कैशियर को शासन को समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले अन्नदाता किसान से भुगतान के एवज में रिश्वत के तौर पर कुल भुगतान योग्य राशि से कटौती (उगाही)करना भारी पड़ गया। किसान की शिकायत पर सुनियोजित तरीके से ब्रांच मैनेजर एवं कैशियर को ट्रैप कर एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने 5 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।

कोरबा जिले के पाली स्थित सहकारी बैंक की शाखा में एसीबी की टीम ने आज सुबह करीब 11.30 बजे दबिश दी। एसीबी को शिकायत मिली थी कि यहां किसानों को ज्यादा रकम की जरूरत पडने पर उक्त राशि देने के एवज में कमीशन लिया जाता है। दरअसल सहकारी बैंकों में शासन के निर्देश अनुसार किसानों को धान बिक्री के एवज में मिलने वाली राशि देने का निर्धारण कर दिया गया है। किसानों को ग्रामवार बुलाया जाता है और इसके लिए दिन भी निर्धारित कर दिया गया है। किसानों को 25 से 30-40 हजार से ज्यादा के रकम नहीं दी जा रही है और जिन किसानों को ज्यादा राशि की जरूरत पड़ती है उसके लिए विशेष रूप से व्यवस्था करने के साथ कमीशन भी तय किया गया है। सूत्रों के अनुसार किसानों से 100000 के बदले 1500 कमीशन लिया जाता है। इनमें से ही एक किसान जिसे उसके बेचे गए धान के बदले रुपए की आवश्यकता लाखों में थी और बैंक के द्वारा किसानों से मजबूरी का फायदा उठाते हुए कमीशन लेकर रुपए दिए जा रहे थे। पीडित किसान प्रार्थी रामनोहर यादव ग्राम धंवरा डोंगरी बतरा से लगभग 5 लाख रूपये, के आहरण के लिये 7500 रूपये रिश्वत की मांग की जा रही थी। आरोपीगण अमित दुबे, ब्रांच मैनेजर एवं आशुतोष तिवारी, कैशियर द्वारा मांग की गई थी। शिकायत सत्यापन पश्चात् आज आरोपीगण को रिश्वत देने के लिये प्रार्थी बैंक कार्यालय गया जहां आरोपीगण द्वारा सावधानी बरतते हुए, रिश्वती रकम न लेते हुए, 5 लाख आहरण राशि से रिश्वती रकम 5000 रूपये काटकर प्रार्थी को शेष राशि दी गई, जिस पर एसीबी की टीम द्वारा कार्यवाही कर कैशियर से रिश्वत की राशि बरामद की गई ।इस मामले से यह तो प्रमाणित हुआ है कि किसान अपना धान बेचने के बाद अपने ही धान की राशि प्राप्त करने के लिए किस तरह से मौजूदा हालातों में परेशान हो रहा है।

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में खून पसीना बहाकर धान उपार्जित करने वाले अन्नदाता किसानों से कमीशनखोरी का यह पहला मामला नहीं है । हर साल कोरबा सहित प्रदेश के अन्य जिलों में किसानों से धान बिक्री के दौरान से लेकर भुगतान के समय कमीशनखोरी अवैध उगाही की शिकायतें सामने आती रही हैं। कोरबा में पूर्व में भी इस तरह की शिकायतें जिला प्रशासन के संज्ञान में लाई जा चुकी हैं जिनमें जिम्मेदारों के खिलाफ विधिवत कार्रवाई भी की गई। बावजूद इसके अधिकारी कर्मचारियों के भ्रष्ट कार्यशैली में सुधार नहीं आया। आज भी किसानों से कमीशनखोरी हो रही। लेकिन हैरान करने वाली बात है कि किसी भी ब्रांच में शिकायत पेटी नहीं है ,या कोई ऐसा नम्बर सार्वजनिक नहीं किया गया है जिससे जिला स्तर पर ही उनकी समस्याओं का त्वरित निराकरण किया जा सके। हालांकि विभिन्न माध्यमों से प्राप्त शिकायतों पर जरूर समय समय पर जांच कार्रवाई की जाती रही है।

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