पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रः प्रबंधन की लापरवाही से मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं का नहीं मिल रहा लाभ

कोरबा 22 अपै्रल। गर्मी अपने पूरे शबाब पर आ चुकी है ऐसे में बढ़ते गर्मी ने लोगों की बेचौनी बढ़ा कर रख दी है। जहां लोग इस गर्मी में बचने के लिए एसी कूलर की सहारा ले रहे हैं सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर है, मगर पाली में संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रबंधन की लापरवाही से मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

इस विकासखंड क्षेत्र के लोग उचित स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर आज भी सीमावर्ती जिला बिलासपुर पर निर्भर है। पाली का स्वास्थ्य केंद्र जरूरी दवाइयां व चिकित्सकों के अभाव में सिर्फ टीकाकरण केंद्र और गरीब गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने का माध्यम मात्र बन कर रह गया है। इसके अतिरिक्त दुर्घटना में घायल अथवा गंभीर मरीजों को बिलासपुर रेफर कर दिया जाता है। वर्तमान में भीषण गर्मी का दौर चल रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधक की लापरवाही से इस गर्मी में यहां भर्ती मरीजों का हाल बेहाल हो चुका है। अस्पताल में कई पंखे बंद है, कूलर तो चल रहे लेकिन उनमें पानी नही होने के कारण गर्म हवाओं के थपेड़ों और उमस से मरीज जूझ रहे है। ठंडे पानी के लिए वाटर कूलर तो है पर काफी समय से उसमे से ठंडा पानी उगलना छोड़ दिया है। वार्डों में बदबू का अंबार है और साफ- सफाई व पोंछा कार्य मे फिनायल का उपयोग नही करने से मरीज व उनके परिजन अस्पताल के दुर्गंध को सहने मजबूर है। महिला, पुरूष शौचालय में न ही अच्छे से पानी आ रहा न ही हाथ धोने के लिए साबुन रखे हुए है। इमरजेंसी वार्ड में सिर्फ कुर्सियां ही दिखाई देती है। मौके पर कोई डॉक्टर नही दिखता व सारा कमान नर्सों के जिम्मे रहता है। देखा जाए तो स्वास्थ्य सुविधा व स्वच्छता अभियान को लेकर यह स्वास्थ्य विभाग बड़े- बड़े दावे तो करता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है और दोनों सेवाएं हाशिये पर दिख रहा है। स्वच्छता कार्य में भी खानापूर्ति ऐसे में चिकित्सा सुविधा व स्वच्छता कार्य के रूप में खानापूर्ति का प्रयास किया जा रहा है। जिससे दम तोड़ रहे इस अस्पताल के औचित्य पर कई सवाल खड़े हो रहे है।

इस दिशा में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर क्षेत्र के लोगो का कहना है कि पाली अस्पताल में कार्यरत छोटे से लेकर बड़े कर्मचारियों को अपनी सेवाएं निरंतर देना चाहिए तथा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को भी इनके कार्यों पर सतत निगरानी रखनी चाहिए। लापरवाही करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि ग्रामीण इलाके से आए मरीजों को समुचित स्वास्थ्य लाभ मिल सके। इसके अलावा जनप्रतिनिधियों को भी इनकी सेवाएं सुनिश्चित कराने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

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