प्रधानमंत्री आवास योजना के अधूरे कामकाजः 124 सचिवों का रोका वेतन
लोकसभा चुनाव में पड़ेगा असर
कोरबा 15 अपै्रल। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर करने वाले जिले के 124 सचिवों का वेतन रोक दिया गया है। प्रधानमंत्री आवास के अधूरे कामकाज को इसकी वजह बताई गई है। संबंधित क्षेत्रों में आवास का काम नहीं हो पाया है। वेतन रोक देने से सचिवों के खर्चे प्रभावित हो गए हैं और घरेलू कामकाज पर इसका असर पड़ा है।
हाल में ही एक आदेश जारी करते हुए जनपद पंचायत कोरबा, करतला, पाली, कटघोरा और पोड़ी उपरोड़ा से संबंधित 124 सचिवों के वेतन पर ब्रेक लगा दिया गया। यह कार्रवाई जिले से हुई। सूचनाओं में कहा गया कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री आवास योजना की प्रगति और समीक्षा को लेकर बैठक हुई थी। इस दौरान जानकारी सामने आई कि बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित स्वीकृत मामलों में काम पूरा नहीं हो सका। ग्रामीण क्षेत्र में इसकी संख्या ज्यादा है। माना गया कि जिन हाथों को काम करने की जिम्मेदारी दी गई थी उन्होंने रूचि नहीं ली और इसके कारण आवास पूरे नहीं हो सके। आदेश जारी होने से प्रभावित सचिव हैरान हैं। उन्होंने बताया कि पूरे मामले में उनकी कोई भूमिका ही नहीं है। दरअसल पिछली कांग्रेस सरकार ने केंद्र प्रवर्तित प्रधानमंत्री आवास योजना को गंभीरता से नहीं लिया। केंद्र के 60 प्रतिशत और राज्य के 40 प्रतिशत योगदान से योजना पर काम हो रहा है। छत्तीसगढ़ के लिए स्वीकृत इकाईयों के लिए केंद्र ने पैसा तो दिया लेकिन राज्यांश देने में छत्तीसगढ़ ने रोड़े अटकाए। इसके चलते संबंधित क्षेत्रों में योजना की किस्त जारी नहीं हो सकी। इस स्थिति में पंचायतें योजना का क्रियान्वयन करती किस तरह से। इसी के चलते आवासों का काम अधूरा रह गया। सचिवों ने बताया कि उन्होंने मामले की जानकारी अपने संगठन के जरिए उच्च स्तर तक भिजवाई है और इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।
पक्के आवास का मामला शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक असर डाल रहा है। बीते वर्षों में केंद्र की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे आवास दिए जा रहे थे। अब नई सरकार ने पक्के आवास देने पर काम किया है। ऐसे में भी नीतिगत कारणों से समय पर राशि उपलब्ध नहीं होने से बड़ी संख्या में आवास अधूरे छूटे हुए हैं। लोकसभा चुनाव में यह मामला भी तूल पकड़ रहा है। ऐसे में संभव है कि कोई एक इसे भुनाएगा और दूसरा दल परेशानी झेलेगा।