बाल विवाह अपराध हैः- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण
कोरबा 06 अप्रेल। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा समाचार पत्र में प्रकाशित खबर ‘‘नाबालिकों की शादी की चल रही थी तैयारी, पहुंच गई 112 की टीम ‘‘ में स्वतः संज्ञान लेते हुए जिले के दूरस्थ सरहदी आदिवासी बाहु ल्य क्षेत्र में नाबालिकों का विवाह की घटना अनभिज्ञता एवं अज्ञानता के कारण होती रहती है, नाबालिकों के विवाह से होने वाली हानियों को दृष्टिगत रखते हुए जागरूकता लाने एवं भविष्य में ऐसी घटना की पुर्नरावृत्ति न हो के उद्देश्य से संबंधित क्षेत्र में विधिक जागरूकता कार्यक्रम-शिविर किए जाने हेतु निर्देशित किया गया था।
तद्नुसार निर्देश के परिपालन में कोरबा के सरहदी क्षेत्र मोरगा पुलिस चौकी अंतर्गत जंगल परिक्षेत्र के ग्राम गिद्धमुडी में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन कर विधिक जानकारी से अनभिज्ञ ग्रामीण जनो को विधिक जानकारी प्रदान किया गया। पी एल वी- रवि शंकर ने बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत् बाल विवाह एक संज्ञेय एवं गैर जमानती अपराध है, जिसमें दो वर्ष का कारावास या एक लाख तक का जुर्माना या दोनों से दंड का प्रावधान है। केन्द्र सरकार ने विवाह हेतु परिपक्व लडकी का उम्र 18 वर्ष और लडका का उम्र 21 वर्ष निर्धारित किया है।
बाल विवाह किसी बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य, पोषण एवं शिक्षा के अधिकार से वंचित करता है। बाल विवाह से लडकियों को हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। बाल विवाह को विधि की दृष्टि में शून्य मानकर अपराध की संज्ञा दी गई है, लेकिन बाल विवाह से उत्पन्न बच्चे को समाज में सामान्य दर्जे का अधिकार होगा। साथ ही साथ उक्त शिविर में नालसा की बच्चांे को मैत्री पूर्ण विधिक सेवाएं और उनके संरक्षण के लिए योजना 2015, नालसा गरीबी उन्मूलन योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन योजना 2015, साइबर क्राइम, टोनही प्रताडना अधिनियम 2005, मानव तस्करी संबंध में जानकारी, मोटर दुर्घटना अधिनियम, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996, चाइल्ड नंबर 1098, महिला हेल्पलाइन नंबर 181, नालसा 15100 नेशनल लोक अदालत और निःशुल्क विधिक सेवा, व विधिक सेवा प्राधिकरण की जानकारी प्रदान करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के द्वारा चलाए जा रहे अभियानों से संबंधित पाम्पलेट का वितरण कर विधिक जागरूकता प्रदान किया गया।