अपर्याप्त वेतन को लेकर नाराज रूंगटा के चालकों ने काम किया बाधित, कंपनी की बढ़ी परेशानी
कोरबा 04 मार्च। श्रम कानूनों का उल्लंघन करने को लेकर कोरबा जिले में लगातार मामले आ रहे है। साउथ ईस्टर्न कोलफील्डस लिमिटेड के गेवरा माईंस में निजी कंपनी रूंगटा प्राईवेट लिमिटेड के वाहन चालक इस बात से खफा है कि उन्हें अपर्याप्त वेतन देकर काम लिया जा रहा है। उन्होंने इस मुद्दें को लेकर हाथ खड़े कर दिए। कामकाज बाधित होने से कंपनी की परेशानी बढ़ी हुई है।
एसईसीएल गेवरा क्षेत्र में ओवर बर्डन के साथ-साथ उत्पादन संबंधित कई कामकाज के लिए आउट सोर्सिंग का सहारा लिया गया है। ऐसे कार्यो पर कंपनी करोड़ों खर्च कर रही है।उसकी मानसिकता है कि निजी क्षेत्र के जरिए काम कराने से नतीजे ज्यादा अच्छे आते है। लेकिन इसके पीछे के खेल के बारे में सही जानकारी या तो ठेका कंपनी को होती है या तो उसमें काम करने वाले लोगों को । सूत्रों ने बताया कि गेवरा क्षेत्र में उत्तर भारत से वास्ता रखने वाली रूंगटा कंपनी को ऐसे की कार्यो की जिम्मेदारी दी गई है। उसनें अपने कार्यो को अंजाम देने के लिए भारी वाहन चालकों को नियोजित किया है। रोजगार देने के समय जो अनुबंध किया गया था, उसकी तुलना में चालकों को वेतन कम दिया जा रहा है। जबकि इसके मुकाबले काम के घंटे ज्यादा हैं। बताया गया कि इसे लेकर काफी समय से नाराजगी थी जो अब उग्र हो गई है। आर्थिक शोषण का आरोप लगाते हुए कंपनी के चालकों ने आज हाथ खड़े कर दिए और वाहनों को रोक दिया। इस चक्कर में कामकाज बाधित हो गया। मामले की जानकारी होने से कंपनी के कर्ताधर्ताओं के हाथ पैर फूल गए । बताया जा रहा है कि स्थिति को सामान्य करने के लिए शुरूआती कोशिश की जा रही है। प्रदर्शन कर रहे चालकों का कहना है कि कंपनी एसईसीएल से भरपूर फंड ले रही है इसलिए वे इसी हिसाब से वेतन पाने के हकदार है।
अधिकतक औद्योगिक इकाईयों की स्थापना होने से दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले कोरबा जिले में लोगों के पास रोजगार के ज्यादा अवसर हैं। इस मामले में बढ़ोत्तरी भी लगातार हो रही है। इन सबसे अलग जिले में औद्योगिक चुनौतियां भी बनी हुई है। वेतन विसंगति के साथ-साथ अवकाश और हालात असामान्य होने पर अनुकंपा का लाभ देने के मामले में किये जा रहे विलंब के कारण औद्योगिक अशांति भी निर्मित हो रही है।
एनटीपीसी, एसईसीएल के साथ-साथ बालको को लेकर अक्सर शिकायतें सामने आती रही है कि इनके द्वारा व्यापक जनहित की उपेक्षा की जा रही है। अरसे से लटके प्रकरणों का समुचित निराकरण करने में अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। चारपारा कोहडिया के 39 भूविस्थापितों को उनकी जमीन के बदले रोजगार नहीं देने के मामले में 22 अप्रैल 2023 से किया जा रहा धरना इसी का उदाहरण है। जिसमें नतीजे अप्राप्त हैं।