शराब घोटाला मामलाः कोरबा आबकारी सहायक आयुक्त के घर एसीबी का छापा
कोरबा 26 फरवरी। छत्तीसगढ़ में भाजपा के नेतृत्व में नई सरकार के कामकाज संभालने के बाद से पूर्ववर्ती सरकार के दौरान विभिन्न विभागों में हुए घोटाले बोतल से बाहर आ रहे हैं। एक के बाद एक इसका सिलसिला जारी है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आबकारी राजस्व का मामला सामने आया था, जिसकी जांच की घोषणा की गई। इस मामले में एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने कमान संभाली है। विभिन्न जिलों में जांच का काम शुरू किया है। सोमवार को कोरबा में एक टीम ने आबकारी के सहायक आयुक्त सौरभ बक्शी के सरकारी बंगले में दबिश दी।
वर्ष 2024 में जिले में किसी भी सरकारी जांच दल की उपस्थिति का यह अब तक का पहला अवसर है, जिसने सरकारी हल्के में हडकंप मचा दी। जबकि विभिन्न विभागों के अधिकारी स्वीकार करते हैं कि यह इसलिए भी स्वाभाविक था क्योंकि विधानसभा की कार्रवाई के दौरान शराब राजस्व घोटाले के मामले में जांच की घोषणा की गई थी। बताया गया कि विधानसभा में सत्तापक्ष के विधायकों के द्वारा ही वर्ष 2021-22 में प्राप्त आबकारी राजस्व के आंकड़े को सामने रखने के साथ अगले वर्ष यानि 2022-23 के आंकड़े दिखाए गए। इन दोनों में भारी-भरकम अंतर था। इस पर सवाल खड़े हुए कि जब एक वर्ष पहले विभाग को शराब की बिक्री से छत्तीसगढ़ में सैकड़ों करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ तो इसके ठीक एक वर्ष बाद राजस्व में कई गुना ज्यादा गिरावट आखिर कैसे हो गई और यह कैसे संभव है। विधायकों के सवाल ने जहां हैरानी पैदा की वहीं सरकार को समझते देर नहीं लगी कि कुल मिलाकर पिछली सरकार में बड़ी सांठगांठ करने के साथ आबकारी राजस्व के मामले में घपला किया गया है। इसलिए आनन-फानन में मामले की जांच की घोषणा की गई। सत्र निपटने के बाद इस ओर कार्रवाई तेज कर दी र्ग है। अन्य जिलों के साथ कोरबा भी इसकी चपेट में आया। बताया गया कि आज सुबह गृह विभाग के अंतर्गत काम करने वाले एंटी क्रप्शन ब्यूरो की टीम ने कोरबा पहुंचकर आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त सौरभ बक्शी के बंगले में दबिश दी। डीएसपी प्रमोद खेस ने इसे लीड किया। उनके साथ कुछ निरीक्षक और पुलिस कर्मी भी यहां पहुंचे। जल्द ही यह खबर आसपास में फैल गई और आने-जाने वालों ने इस बारे में जानने को लेकर उत्सुकता दिखाई।
जानकारी के अनुसार रायपुर से भेजी गई टीम को आबकारी राजस्व से संबंधित प्रकरण को लेकर आवश्यक जानकारी हासिल करना है। इस आधार पर यह पता किया जाएगा कि छत्तीसगढ़ में हुई गड़बड़ी में कोरबा जिले के आबकारी विभाग की क्या कुछ भूमिका रही। दबिश को लेकर एसीबी अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश नाकाम रही इसलिए इस विषय को लेकर चल रही शुरुआती जांच के बारे में विस्तृत ब्यौरा प्राप्त नहीं हो सका। लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारी के यहां एसीबी के छापे से संबंधित नेटवर्क सक्ते में है।
पिछले वर्ष कोरबा के कलेक्टोरेट कार्यालय में इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट की टीम ने कई मौकों पर डेरा डालने के साथ विस्तृत जांच की थी। यह मामला डीएमएफ के साथ-साथ कोयला खदान से लेवी से जुड़ा हुआ था। इस प्रकरण में हुई जांच और अगली कार्रवाई के बाद खनिज विभाग के पूर्व उप संचालक एस.एस.नाग और पूर्व कलेक्टर रानू साहू को जेल की हवा खानी पड़ गई। अब तक उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई है। ईडी के छापे के चक्कर में कोरबा के माइनिंग कार्यालय में आमूलचूल परिवर्तन भी हो गया है।