आमरण अनशन में बैठे भू-विस्थापितों की बिगड़ी तबीयतः पांच लोगों अस्पताल में दाखिल, प्रशासन में मचा हड़कंप
कोरबा 05 फरवरी। एनटीपीसी के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे भू-विस्थापितों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। यह खबर मिलते ही प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। अफसरों ने आंदोलन में शामिल पांच भू -विस्थापितों को इलाज के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल दाखिल कराया है, जबकि अन्य सदस्यों ने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने मांग पूरी होने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही है।
नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन ( एनटीपीसी) जमनीपाली के लिए वर्षो पहले चारपारा कोहड़िया सहित कुछ अन्य गांव की जमीन अधिग्रहित की गई थी। जमीन अधिग्रहण के दौरान भू- विस्थापितों को मुआवजा के अलावा नौकरी व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें सालों बाद भी नौकरी व अन्य सुविधाएं नहीं मिल सकी। जिसे लेकर लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं। इस दौरान कई मर्तबे भू-विस्थापितों और एनटीपीसी प्रबंधन के बीच प्रशासनिक अफसर की मौजूदगी में बैठक की गई। इसके बावजूद भू- विस्थापितों की समस्या का निराकरण नहीं हुआ।
कुछ माह पूर्व तत्कालीन कलेक्टर ने नौकरी के आश्वासन तो दिए लेकिन उनके आश्वासन के बाद भी किसी तरह की पहल नहीं हुई। जिससे आक्रोशित भू -विस्थापितों ने परिवार सहित तानसेन चौक में एनटीपीसी प्रबंधन और जिला प्रशासन के खिलाफ आमरण अनशन शुरू कर दिया। 30 जनवरी से चलने वाले इस आमरण अनशन के छठवें दिन अचानक एक भू- विस्थापित की तबीयत बिगड़ गई । यह खबर मिलते ही प्रशासनिक अफसरों के हाथ पांव फूल गए। वे तत्काल हरकत में आ गए।
प्रशासन की ओर से तहसीलदार व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने राजन पटेल, घसिया राम, रामायण, शुभम केंवट व एक अन्य को संजीवनी एक्सप्रेस के माध्यम से मेडिकल कालेज अस्पताल भेजा, जहां भू- विस्थापितों को दाखिल कर उपचार कराया जा रहा है। खास बात तो यह है कि आमरण अनशन में बैठी बुजुर्ग महिला सहित अन्य सदस्यों ने अस्पताल जाने से मना कर दिया। उन्होंने साफतौर पर कहा है कि जब तक प्रशासन की ओर से नौकरी संबंधी लिखित पत्र जारी नहीं किया जाता है, वे आमरण अनशन समाप्त नहीं करेंगे। बहरहाल भू- विस्थापितों की तबीयत बिगड़ने के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।