कैदियों से संवादः बदला नहीं लेना है बल्कि जीवन में बदलाव लाना हैः बी के भगवान
कोरबा 11 दिसम्बर। अतीत में अपनी विकृत मानसिकता के कारण किये गए अपराध से बहुत कुछ समझने और सीखने की जरूरत है। जेल में बंदी का जीवन बिताते हुए विचार करना होगा कि अब बदला नहीं लेना है बल्कि जीवन में बदलाव लाना है। ब्रह्मकुमारी संगठन के बी.के.भगवान ने उपजेल कटघोरा में कैदियों से संवाद करते हुए यह बात कही।
कोरबा जिले के प्रवास पर उन्होंने विद्यालयों के अलावा अनेक स्थानों पर अलग-अलग विषय पर कार्यक्रम किये। उन्होंने कर्म गति याद करते हुए कहा कि हम ऐसा कोई कर्म ना करें जिस कारण धर्मराज पूरी में हमें सिर झुकाना पड़े , पछताना पडे , रोना पडे । स्वयं के अवगुण या बुराईयां हैं उसे दूर भगाना हैं , ईर्ष्या करना , लडना , झगडना , चोरी करना , लोभ , लालच , काम , क्रोध, अभिमान यह मनोविकार तो हमारे दुश्मन हैं। जिसके अधिन होने से हमारे मान , सम्मान को चोट पहुंचती हैं। कुल मिलाकर पिछली गलतियों से जुड़े कारणों को जानने और जीवन में सुधार करने की जरूरत है। प्रभारी जेलर द्वारिका प्रसाद चतुर्वेदी ने भी अपने सम्बोधन में बन्दियों को बताया कि आप जैसा सोचोगे वैसा ही बन जाओगे। अतरू हमें सदैव अच्छा सोचना चाहिए तथा बुरी आदत को छोड़ देना चाहिए। कार्यक्रम में ब्रह्मकुमारी संगठन के स्थानीय कार्यकर्ता उपस्थित रहे।