बालिका गृह में पली बढ़ी पूर्णिमा बेटी की उठी डोली, गुजराती रीति-रिवाज से विवाह हुआ संपन्न

कोरबा 27 जून। शहर स्थित बालिका गृह उस समय बाबुल का घर बन गया जब यहां पली बढ़ी पूर्णिमा दुल्हन बनकर राजेश चौहान का हाथ थाम अपने ससुराल चली। बिदाई के दौरान उसके साथ बहन की तरह रह रही अन्य बालिकाओं के साथ संस्था के सदस्यों के आंसू छलक पड़े।

कहा जाता है कि हर रात की सुबह होती है। अपनों से बिछड़कर बालिका गृह में पली बढ़ी पूर्णिमा को शायद ही यह विश्वास रहा होगा कि उसे एक परिवार ही नहीं बल्कि समाज का स्नेह मिलेगा। बालिका गृह की संचालिका रूकमणि नायर ने बताया कि पूर्णिमा बालिका गृह में छह साल पहले आई थी। थोड़े ही दिनों में उसने अपने व्यवहार से सबका मन जीत लिया। वह रसोई के कार्यों के अलावा सिलाई कढ़ाई में भी दक्ष है। बालिका गृह में रहने वाली बालिकाओं के लिए वह न केवल कपड़े सिलाई करती थी बल्कि उन्हे प्रशिक्षण भी देती थी। अच्छा करने वालों के साथ ईश्वर भी अच्छा करते हैं।

शहर में रहने वाले व्यवसायी संजय चौहान को अपने पुत्र राजेश के लिए योग्य कन्या की तालाश थी। उन्होने गुजराती समाज के प्रमुख मनोज शर्मा को इस बात से अवगत कराया। तब शर्मा ने बालिका गृह की संचालिका रूकमणि नायर से संपर्क किया। इस तरह चौहान परिवार को पूर्णिमा बहू के रूप में पसंद आ गई। चट मंगनी पट व्याह की तर्ज विवाह समारोह आयोजित किया गया। गुजराती रीति रिवाज से पूर्णिमा व राजेश का विवाह जलाराम बापा मंदिर के निकट गुजराती भवन संपन्न हुआ। आयोजन में कलेक्टर संजीव झा की पत्नी रचना झा वर.वधू को आशीर्वाद देने पहुंची थी। उन्होने उपहार में पूर्णिमा को सिलाई मशीन प्रदान की। घराती व बरातियों के लिए भोजन का प्रबंधन अयप्पा सेवा संघम की ओर से किया। आयोजन को सफल बनाने में बालिका गृह समिति के अलावा श्री अयप्पा सेवा समिति के टीके प्रदीप, सी सुरेश, संतोष पीएस, जी उदयन, केजी नायर आदि का विशेष योगदान रहा।

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