प्रशासकीय स्वीकृति के अभाव में रूका मानिकपुर पोखरी का सुंदरीकरण कार्य
कोरबा 30 अपै्रल। करीब 40 साल पहले बंद हो चुकी साउथ ईस्टर्न कोल लिमिटेड एसईसीएल की मानिकपुर खदान अब पोखरी में पर्यटन विकास का काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। इसके लिए 20 करोड़ की बजट का अनुमान है। एसईसीएल 10 करोड़ रूपये सीएसआर मद से प्रदान करेगी। वहीं 10 करोड़ रूपये राज्य से मिलेगा। इसके लिए निगम ने प्रशासकी स्वीकृति मांगी है। तीन माह गुजर जाने के बाद भी शासन से न तो स्वीकति मिली और न ही एसईसीएल के स्वीकृति राशि खर्च करने की अनुमति दी। डेढ़ माह बाद मानसून शुरू हो जाएगा। ऐसे में कार्य में कार्य शुरू होने में और विलंब होगा।
शहरी क्षेत्र में पर्यटन विकास की दृष्टि से मानिकपुर पोखरी को बेहतर विकल्प माना जा रहा है। वर्षों से बंद पड़ा खदान केवल जल भराव तक सीमित है। वर्तमान में पोखरी का उपयोग स्थानीय लोगों के निस्तारी के अलावा प्रतिमा विसर्जन के काम आता है। पूर्व कलेक्टर रानू साहू ने सौंदर्यीकरण और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कार्य योजना तैयार की थी। जिसमें 20 करोड़ खर्च अनुमानित है। एसईसीएल ने सीएसआर मद से 10 करोड़ राशि प्रदान करने की सहमति दे दी है। कार्य को मूर्त रूप देने के लिए निगम प्रशासन ने 10 करोड़ रूपये राशि की प्रशासकीय स्वीकृति मांगी है। राशि आवंटन के बाद ही कार्य संभव है। दिसंबर माह में शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। जिसमें जिसमे एसइसीएल से मिलने वाली 10 करोड़ की राशि से काम जनवरी माह से शुरू करने की अनुमति मांगी गई थी। अतिरिक्त राशि की स्वीकृति व प्रशासकीय स्वीकृति के अभाव योजना ठंडे बस्ते में चली गई है। बताना होगा कि खनिज न्यास मद से जिले के पर्यटन स्थल सतरेंगा को राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटकों के लिए तैयार किया गया है। यहां बांगो बांध के जल भराव व प्राकृतिक सौंदर्य का अनूपम नजारा देखने के लिए दूर.दूर से सैलानी आते हैं। कोरबा के मानचित्र में एक और पर्यटन स्थल मानिकपुर पोखरी जुड़ जाएगा।
पोखरी में पर्यटन का विकास होने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का अवसर बढ़ेगा। चौपाटी विकास के लिए अलग से स्थल चिन्हांकित किया गया है। पर्यटन स्थल विकसित किए जाने के बाद भी प्रतिमा विजर्सन जारी रहेगा। पोखरी के दायीं छोर पर अलग से विसर्जन घाट बनाया जाएगा। गणेशोत्सव और दुर्गा पूजन में प्रतिमा विसर्जन के अलावा छठ पूजा के दौरान यहां मेला जैसा वातावरण निर्मित रहता है। धार्मिक आस्था केंद्र की दृष्टि से भी पोखरी का व्यवसायिक स्वरूप में विकास होगा।
पहला बंद कोयला खदान का पोखरी है जिसका सुंदरीकरण करने का निर्णय लिया गया है। आमतौर पर ग्रीष्म के दौरान भू.जल स्तर कम होने से खदान की जलराशि को निकालकर खदान में खनन शुरू कर दी जाती हैं। मानिकपुर पोखरी में अन्य खदान की तुलना में वर्षा के अलावा प्राकृतिक जल भराव है। इस वजह से भी यहां खदान शुरू किया जाना संभव नहीं हुआ। पोखरी पर्यटन का विकास होने से निगम प्रशासन के राजस्व आय में बढ़ोतरी होगी।