करोड़ों खर्च के बाद भी जिले में नहीं लग पा रहा खदानों से कोयला चोरी पर ब्रेक
कोरबा 09 अपै्रल। सुरक्षा उपायों पर किये जा रहे करोड़ों खर्च के बाद भी जिले में स्थित एसईसीएल खदानों से कोयला की चोरी जारी है। इस पर ब्रेक नहीं लग पाया है। इसके चलते कंपनी प्रबंधन को लगातार नुकसान हो रहा है। पूरे मामले में अराजक तत्वों को मिली हुई बाहरी छूट पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
इस प्रकार के मामले ज्यादातर एसईसीएल के गेवरा व दीपका माइंस से जुड़े बताये जा रहे हैं। दोनों ही खुली खदाने हैए जिनका दायरा कई किमी तक फैला हुआ है। खदानों के आसपास चोरों ने कई रास्ते बना रखें है और इसके जरिये भीतर तक प्रवेश कर चोरी को अंजाम दिया जा रहा है। चोरों ने इस काम को आसान करने के लिए सीमावर्ती गांव के किशोरों से लेकर महिलाओं और पुरूषों के साथ अलिखित अनुबंध कर रखा है। इसके जरिये संबंधीत वर्ग खदान से बेखौफ होकर कोयला निकालता है। निश्चित प्रक्रिया के तहत गिरोह को इसकी बिक्री कर दी जाती है। ऐसे मामलों में ऑन स्पाट पेमेंट की व्यवस्था की गई है। इससे लोगों को बड़ी आसानी से रोजगार मिला हुआ है, चाहे वह अवैध क्यों न हो। जानकारों ने बताया कि दीपका और गेवरा खदान के सीमा क्षेत्र में मौजूद ग्रामीण इलाके से वास्ता रखने वाले काफी लोग इस काम में लिप्त हो गए हैं। कहा गया कि इस काम को अंजाम देने के लिए महिलाओं को आगे कर दिया जा रहा है ताकि सुरक्षाकर्मी या अन्य स्तर की दखल होने पर हर तरीके से निपटा जा सके। इसीलिए एसईसीएल के सुरक्षा विभाग ने पिछले महीने दीपका और हरदीबाजार पुलिस और एसपी को लिखित शिकायत की थी। इसमें मारपीट कर धमकी देने और गलत अपराध में फंसाने की साजिश करने की जानकारी दी गई थी। इस मामले में पुलिस की ओर से न तो रूचि ली गई और न कार्रवाई की गई। इसलिए चोर गिरोह से लेकर बिचौलियों के हौसले बुलंद है।
सूत्रों के अनुसार अच्छे ग्रेड के कोयला की मांग खुले बाजार में ज्यादा है। कई प्रकार के उद्योग में इसे खपाया जा रहा है। संबंधित पार्टियों को आसान तरीके से इसकी पूर्ति कराने का काम चोरी चकारी करने वाला वर्ग कर रहा है। फर्जी सप्लायरों को इसमें कुल मिलाकर विशुद्ध फायदा हो रहा है। क्योंकि सारा माल ही चोरी का है। इसलिए हर स्तर पर मुंहमांगी सांठगांठ करने के लिए कोई भी कीमत अदा करने की मानसिकता बनायी है। पूर्व आईपीएस अधिकारी ओमप्रकाश चौधरी द्वारा खदानों से जुड़ी अवैध गतिविधियों को लेकर पिछले वर्ष फेसबुक पर की गई पोस्ट में तहलका मचाया था। इस पर सवाल जरूर उठाये गए थे, लेकिन इसे प्रमाणिकता तब मिली जब तात्कालीन कलेक्टर रानू साहू और एसपी भोजराम पटेल ने संबंधीत क्षेत्र का निरीक्षण किया। उसके बाद यहां गड्ढे खोदने से लेकर बाड़-बंदी करायी गई थी।