जारी रहेगी अभी कोरबा निगम की कंगाली, बाबू-साहब मालामाल… निगमकोष खाली

कोरबा निगम का टेंडर गेम.. अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से जनकोष में करोड़ो की सेंध

कोरबा 27 जनवरी l नगर पालिक निगम कोरबा द्वारा कोरबा पश्चिम दर्री स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल नगर के 38 जमीनों के विक्रय हेतु निविदा आमंत्रित की गई थी. जिसमें उच्चतम बोली के आधार पर प्रतिस्पर्धिय मूल्य पर इन प्लॉट्स का विक्रय किया जाना था. लेकिन आज देर शाम निगम के सभागृह में उस समय सन्नाटा पसर गया जब सरदार बल्लभ भाई पटेल नगर स्थित प्लॉट्स के टेंडर खोले गए । प्लॉट्स क्रमांक 01 से लेकर 38 तक लगभग सभी में नगर निगम को एक प्लॉट के लिए एक ही टेंडर प्राप्त हुए, और तो और सभी टेंडर में बेस प्राइस (न्यूनतम बोली मूल्य ) के आस पास की दरें भरी गई थी, जो 30 लाख के लगभग थी । किसी भी प्लॉट के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हुई हो ऐसा दूर दूर तक नजर नही आया l

जैसे ही टेंडर खुला प्रत्यक्षदर्शियों के होश फख्ता हो गए l खुली निविदा में 29 लाख बेस मूल्य के प्लॉट का 60- 70 लाख की बोली कि उम्मीद लगाए बैठे लोगों को जैसे जैसे प्लॉट्स के बीड खुलते गए ये आभास हो चला की निविदाकारो द्वारा टेंडर को आपसी सामंजस्य बनाकर, निगम अधिकारियों की मिलीभगत से मैन्युप्लेट कर निगम कोष को करोड़ों का चूना लगा दिया गया है। जानकारों का कहना है की प्रतिस्पर्धा के आभाव में निगम कोष को लगभग 10 करोड़ की आर्थिक छती पहुंची है

वहीं टेंडर खुलने के पश्चात निगम के गलियारों में कानाफूसी शुरू हो गई। अभी कुछ माह पूर्व हुए कोसाबाड़ी क्षेत्र के प्लाटों की निविदा का उदाहरण देते हुए लोगों ने बताया कि उक्त टेंडर में किस प्रकार प्लॉट्स के बेस मूल्य से दुगने दामों की बोली लगाई गई थी जो कि आज हुए टेंडर के बिलिकुल उलट थी। कईयों ने तो यह भी दावा किया कि प्रत्येक प्लाट का टेंडर मैनेज करने के एवज में कोरबा निगम के जनसेवा को समर्पित मुलाजिमों को ₹25000 तक का नजराना चढ़ाया गया है। इस हिसाब से कुल 38 प्लॉट मनचाहे व्यक्ति को प्रदान करने के एवज में लगभग 10 लाख रुपये सीधा बाबू-साहबों के जेब में पहुंचाया गया है।

निश्चित ही, टेंडर में भाग लेने वालों का सिंडिकेट कैसे बना और प्रत्येक प्लाट के लिए टेंडर डालने वालो की लिस्ट उन तक कैसे पहुंची यह जांच का विषय है व इसमें अंदर की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता l बहरहाल निगम के अधिकारी कर्मचारियों की कर्तव्यपरायणता को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि नगर पालिक निगम कोरबा में कंगाली का दौर अभी जारी रहेगा।

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