छोटे रकबे वाले किसान होंगे रोजगार से वंचित

कोरबा 4 मार्च। एसईसीएल की ग्राम करतली में प्रस्तावित अंबिका खुली खदान के प्रभावितों के लिए विधिक सलाह व सहायता शिविर का आयोजन किया गया। इस मौके पर हाई कोर्ट के अधिवक्ता कमल किशोर पटेल ने प्रभावित किसानों को विधिक जानकारी दी, साथ ही उनके केस लड़ने की भी बात कही। लगभग 350 लोगों के चार गुना मुआवजा का आदेश भी ग्रामीणों को बताया। साथ ही आगे काबिज वनभूमि का मुआवजा, रोजगार, मुआवजा बसाहट से जुड़ी मांगों पर कानूनी सलाह और न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है।

साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की पाली ब्लाक में अंबिका ओपनकास्ट खदान खोला जाना है। ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के ग्राम इकाई ने ग्रामीणों को विधिक जानकरी कार्यक्रम आयोजित किया। इस मौके पर ग्राम इकाई अध्यक्ष जयपाल सिंह खुसरो ने बताया कि सड़क के लड़ाई के साथ कानूनी मदद भी ली जा रही है। एसईसीएल अपनी कोल इंडिया नीति का हवाला देकर हाथ खड़ा कर लेती है इसका जवाब कानून की मदद से भू-विस्थापितों को अधिकार दिलाया जाएगा। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि अंबिका खदान के लिए पाली तहसील के ग्राम करतली, तेंदुभाठा और दमिया के निजी हक की 335.19 एकड़ भूमि व राजस्व वन भूमि 15.52 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कोल बेयरिंग एक्ट के तहत किया जा चुका है। भू-अर्जन के एवज में 485 काश्तकारों को 26.72 करोड़ रुपये मुआवजा भुगतान किया जा चुका है और शेष 198 काश्तकारों ने मुआवजा लेने से इंकार कर दिया है। इन काश्तकारों का कथन है कि छोटे रकबे होने के कारण उनको रोजगार से वंचित होना पड़ेगा और उनकी भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। एसईसीएल व शासन सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई ठोस निर्णय नही दे पा रहा, ऐसी स्थिति में कोयला खदान खोलने नही दिया जाएगा। भू-विस्थापितों का कहना है कि उनकी परिसंपतियों का मूल्यांकन गलत तरीके से जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किया गया है। वन भूमि अधिकार पट्टे की जमीन का मुआवजा नही दिया जा रहा है और सन 2012 के बाद लाई गई कोल इंडिया पालिसी के कारण छोटे रकबे वाले किसानों को रोजगार से वंचित कर दिया गया है।

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