दान की जमीन में दस्तावेजों में हेराफेरी कर उद्योगपति ने किया कब्जा : गोयल


0-अधिकारियों की मिली भगत से दान की जमीन का हुआ दुरूपयोग
रायपुर। छत्तीसगढ़ की कोल नगरी में इन दिनों शासकीय व अशासक ीय भूमियों में भू-माफिया द्वारा दस्तावेजों में हेरा-फेरी कर जमीन पर कब्जा करने का काम बेखौफ जारी है। इसी कड़ी आज कोरबा के पत्रकार संतोष कुमार गोयल ने प्रेस क्लब रायपुर पहुंचकर दान की तीन एकड़ भूमि में अंजलि अग्रवाल पति आशीष अग्रवाल द्वारा कृषि भूमि के लिए प्रयोजित उक्त भूमि का दुरूपयोग कर करोड़ों रूपये की बिल्डिंग बनाने का आरोप लगाया। गोयल ने पत्रकारवार्ता में बताया कि पटवारी हल्का नं. 09 रानिमं कोरबा की भूमि खसरा नं. 3/1 ढ, रकबा 1.66 डिसमिल भूमि को कैलाश चंद अग्रवाल ने मुरलीधर मोदी से 5 मार्च 1981 को क्रय किया था। गोयल के अनुसार खसरा नं. 3/1 ढ में से एक एकड़ भूमि धुरऊ से कैलाश चंद अग्रवाल से 2 दिसम्बर 1980 को क्रय किया था। उक्त भूमि कैलाशचंद अग्रवाल पिता स्वर्गीय खेमचंद अग्रवाल पटवारी हल्का नं. 09 3/1 ढ /1, 3 /1ढ/ 11, 3/1ण कुल रकबा तीन एकड़ भूमि भाई सत्यनारायण अग्रवाल ने खसरा नं. 3/1 ढ/9, 3 /1 ढ /10 रकबा कुल 52 डिसमिल को कृषि प्रयोजन हेतु अंजलि अग्रवाल पति अशीष अग्रवाल को दान में दिया था। गोयल ने आरोप लगाया कि उक्त शासकीय भूमि पर उक्त निजी जमीन को स्थानांतरित कर अधिकारियों ने मिली भगत कर आशीष को करोड़ों रूपये की बिल्डिंग बनाने का अवसरप्रदान किया। गोयल ने बिना चांदा के भूमि नापन पर भी कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए इस हेतु राजस्व निरीक्षक ओपी तिवारी, मोहर साय सिदार, पटवारी एलपी किरण, तहसीलदार डीआर मार्गिया, राजस्व निरीक्षक हरिशंकर यादव, प्रभारी राजस्व निरीक्षक नगर पालिक निगम जगदीश प्रसाद वैशवाणे द्वारा की गई कार्यवाही को नियम विरूद्ध बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री, जिला कलेक्टर, मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह सचिव, पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज एवं पुलिस अधीक्षक कोरबा को ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही की मांग की थी किन्तु शासन प्रशासन द्वारा उक्त मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई। उन्होने बताया कि वर्ष 2000-2003 के दौरान तात्कालीक राजस्व मंत्री से उक्त जमीन का कुछ भूखंड को लेकर कुर्मी समाज द्वारा समाज के लिए आबंटन की मांग की गई थी। उनकी मांग पर आबंटन की प्रक्रिया शुरू हुई। परंतु एसईसीएल ने आबंटन में आपत्ति की । वनविभाग ने भी बड़े झाड़ का जंगल बताते हुए आबंटन की अनुमति नहीं दी थी। वहीं उक्त जमीन को उद्योगपति से मिलीभगत कर उसे दिलाने कुछ अधिकारियों ने कूटरचना किया। जो जमीन दान में मिली थी उसका स्थान परिवर्तन कर राजस्व नक्शा व दस्तावेज में हेरफेर कर अवैध तरीके से बिल्डिंग बना दी गई है। जिस पर स्कूल का संचालन किया जा रहा है। वर्ष 2017 से लगातार जिला कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत करने के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई है।
वे दान की जमीन की दुरूपयोग के मामले को लेकर एक दो दिन में उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ में याचिका प्रस्तुत कर मामले के निराकरण के लिए पहल करेंगे। उन्होंने कहा कि कोरबा क्षेत्र में कुछ राजनीतिक शक्तिशाली भू-माफियाओ को संरक्षण प्राप्त है जिसके चलते सैकड़ों एकड़ शासकीय भूमि में अवैध कब्जा जारी है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। हेराफेरी करने वाले शासकीय अधिकारी कर्मचारी सहित निजी लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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