समस्याओं की पाठशाला प्राथमिक शाला अमलीभवना

समस्याओं की पाठशाला प्राथमिक शाला अमलीभवना
कोरबा। शासन की ओर से समय-समय पर निर्देश जारी करने के साथ अधिकारियों के माध्यम से निरीक्षण करवा कर शासकीय स्कूलों व्यवस्थाओं में सुधार लाने के प्रयास किए जाते रहे हैं। संस्था प्रमुख से लेकर खंड के मुख्य अधिकारी द्वारा निर्देशों को धता बताकर जहां विद्यार्थियों की जान को जोखिम में डालने से गुरेज नहीं किया जाता, वहीं पेयजल व आपात स्थिति में निस्तार के लिए पानी की सुविधा प्राप्त करने भटकने की मजबूरी भी रहती है। ऐसे ही अव्यवस्था से वर्षों से ग्रस्त स्कूल के बीआरसी के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की गई है।
मामला विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के संकुल केन्द्र तानाखार अंतर्गत प्राथमिक शाला अमलीभवना का है। स्कूल में कई वर्षों से पीने के पानी की समुचित व्यवस्था न होने के कारण अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को काफी दूर से पानी लाना पड़ता है। शौचालय में पानी नहीं होने के कारण विषम परिस्थिति से भी गुजरना पड़ रहा है। यहां के सहायक शिक्षक एलबी संदीप कुमार अग्रवाल ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी से की गई शिकायत में बताया है कि बीईओ अशोक कुमार चंद्राकर एवं बीआरसीसी ब्रम्हाप्रकाश कश्यप को कई बार मौखिक व लिखित आवेदन देने के बाद भी समस्या निराकृत नहीं की गई है और इसके लिए उन पर कार्रवाई भी तय नहीं हुई। शाला का भवन अति जर्जर है व छत के प्लास्टर नीचे गिरने से हादसे की संभावना बढ़ी है और ऐसे भवन में बच्चों और शिक्षकों को पढऩे-पढ़ाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। शौचालय व नए बने भवन की गुणवत्ता भी खराब है। बिजली व्यवस्था नहीं होने से शिक्षकों द्वारा अपने खर्च पर जुगाड़ कर डिजिटल इंडिया मिशन को सार्थक करने की कोशिश जारी है।
बताया गया है कि 7 सितंबर 2018 एवं 22 जनवरी 2019 को जिला पंचायत सीईओ इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल ने डॉ. अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत निरीक्षण के दौरान बीईओ अशोक कुमार चंद्राकर व बीआरसीसी ब्रम्हाप्रकाश कश्यप को पीने के पानी की व्यवस्था के निर्देश दिए थे। दूसरी बार निरीक्षण में भी हैण्डपंप बिगड़ा पड़ा था, जिससे स्पष्ट है कि अधिकारियों के निर्देश का पालन किस गंभीरता से हो रहा है। सहायक शिक्षक संदीप कुमार ने आदेशों का पालन नहीं करने एवं बच्चों की जान जोखिम में डालने, पानी की व्यवस्था नहीं करने पर बीआरसीसी के विरूद्ध निलंबन जैसी कार्रवाई की मांग की है।
शिकायतकर्ता संदीप कुमार ने बताया कि 30 जुलाई 2015 को शाला के प्रमाण पत्र में भी यह बात आई थी। अमलीभवना प्राथमिक शाला में 16 बालक, 14 बालिकाओं कुल दर्ज संख्या 30 के लिए पृथक-पृथक बालक-बालिका शौचालय की व्यवस्था की गई लेकिन शौचालय का निर्माण ठेका एजेंसी व मूल्यांकनकर्ता की लापरवाही से गुणवत्ताहीन व जर्जर होने के कारण उपयोग में नहीं लाना पाया गया। एनटीपीसी द्वारा वर्तमान में निर्मित शौचालय का सोखता टंकी भी गुणवत्ताहीन लगा। पूर्व में जर्जर भवनों के पुन: मरम्मत करने के निर्देश के बाद मरम्मत की बजाए पुराने नीम के वृक्षों को काटकर व बच्चों के खेलकूद की फिसलपट्टी को नष्ट कर नया भवन स्वीकृत किया गया और वह भवन भी निर्माण के एक वर्ष के भीतर गुणवत्ताहीन साबित हुआ। डिजिटल इंडिया मिशन सार्थक नहीं हो पा रहा है। विद्यालय प्रांगण का एकमात्र हैण्डपंप खराब है व खाली बोर होने से बच्चों के गिरने का खतरा है। उक्त प्रमाण पत्र के बाद भी चार साल में व्यवस्था सुधारी नहीं जा सकी है।

Spread the word