हिंदी भाषा का महत्व न केवल भारत तक सीमित, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही है
कोरबा 10 जनवरी। लंबे अरसे के बाद भी भले ही भारत में हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है लेकिन यह भी अपने आप में सुखद अहसास कराने वाली बात है कि अनेक कारण से वैश्विक स्तर पर हिंदी अपनी पकड़ को और मजबूत करने में सफल हो रही है। राजकाज के साथ जीवन व्यवहार में हिंदी का प्रयोग करने और संवाद की दृष्टि से लोगों को काफी नजदीक लाने में इसकी अपनी भूमिका है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस पर इसके प्रभाव को स्वीकार करना व्यवहारिक हो गया है।
हिंदी भाषा का महत्व न केवल भारत तक सीमित है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बना रही है। विविध सांस्कृतिक और भाषाई देश भारत की राजभाषा होने के कारण हिंदी ने विश्व में एक विशेष स्थान हासिल किया है। वर्तमान में भाषाओं का उपयोग केवल संचार का माध्यम नहीं रह गया है, हिंदी ने अपनी सांस्कृतिक और व्यावसायिक प्रासंगिकता से विश्वभर में अपनी पकड़ मजबूत की है। विभिन्न क्षेत्रों में अंग्रेजी को लेकर प्रतिस्पर्धा की स्थिति बने हुए के बावजूद हिंदी की स्वीकार्यता से इनकार नहीं किया जा सकता। विभिन्न क्षेत्रों में किसने लोगों को एकीकृत करने के साथ कई प्रकार के संभावनाओं को जन्म दिया है ।
अनेक विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों में हिंदी भाषा की पढ़ाई हो रही है। हिंदी साहित्य, संस्कृति और इतिहास पर शोध कार्य भी बढ़ा है। संचार और सोशल मीडिया के माध्यम से हिंदी उपयोगकर्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत सरकार की कोशिशों के कारण हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में शामिल करने की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं। मीडिया से लेकर फिल्म जगत को भी हिंदी ने अपने प्रभाव से महत्वपूर्ण बनाया है। इसका महत्व आगे और ज्यादा स्थापित होगा।
यह अपने आप में गौरव की बात हो सकती है दक्षिण अफ्रीका और खाड़ी देशों में हिंदी बोलने और समझने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ये प्रवासी न केवल हिंदी को अपने परिवारों में जीवंत रखते हैं, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। हाल में नहीं हुए प्रवासी नागरिक सम्मेलन में यह रेखांकित हुआ है।