गढ़बो नवा छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके कांग्रेसी सिपहसालार ऐसे गढ़ रहे- नवा छत्तीसगढ़

कोरबा 22 जनवरी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शासन की बागडोर संभालते हैं एक आकर्षक नारा दिया था- गढ़बो नवा छत्तीसगढ़। मुख्यमंत्री और उनके सिपहसालार कैसा नवा छत्तीसगढ़ गढ़ रहे हैं इसका उदाहरण नगर पालिक निगम कोरबा में 7 साल से लंबित अनुकंपा नियुक्ति के मामले हैं। नगर निगम कोरबा में वर्ष 2014 से अनुकंपा नियुक्ति के 19 मामले लंबित है। पिछले 7 वर्ष से नगर निगम कोरबा में कांग्रेस के हाथ में सत्ता है लेकिन दर-दर भटक रहे इन आवेदकों को अब तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिली है। वहीं दूसरी ओर एक गैर छत्तीसगढ़िया सेवानिवृत्त लेखा अधिकारी पी आर मिश्रा को संविदा नियुक्ति देते हुए दोबारा उसी पद और वेतनमान पर कोरबा में पदस्थ कर दिया गया है।

संविदा नियुक्ति के लिए नगर निगम कोरबा के मुख्यालय में बार-बार दस्तक दे रहे नगर निगम कोरबा के स्वर्गवासी कर्मचारियों के आश्रितों ने एक बार फिर नगर निगम का दरवाजा खटखटाया है। शुक्रवार 22 जनवरी को निगमायुक्त को एक आवेदन पत्र देकर तत्काल अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की गई है। आवेदन पत्र में बताया गया है कि नगर निगम के संबंधित विभाग से संपर्क करने पर आवेदकों को पद रिक्त नहीं है कह कर बार-बार चक्कर काटने के लिए पिछले 7 वर्षों से मजबूर किया जा रहा है। आवेदकों का कहना है कि राज्य शासन के गाइड लाइन में स्वर्गवासी कर्मचारियों के आश्रितों को तत्काल अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान है लेकिन नगर निगम कोरबा में इसका पालन नहीं किया जा रहा है।

आवेदन पत्र में नगर निगम आयुक्त को अवगत कराया गया है कि नगर पालिक निगम भिलाई में नवंबर 2020 में एक साथ 26 लोगों को अनुकंपा नियुक्ति दी गई है। आवेदन में कहा गया है कि यदि नगर निगम कोरबा में पद रिक्त नहीं है तो सीधी भर्ती के पदों पर सभी आवेदकों को योग्यता अनुरूप नियुक्ति दी जाए। आवेदन में कहा गया है कि वर्तमान कोरोना काल में आवेदकों का परिवार घोर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और उनके समक्ष भुखमरी की समस्या बनी हुई है। आवेदन पत्र में कहा गया है कि नगर निगम कोरबा में प्रतिवर्ष कई कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। नगर नगर निगम के अधिकारी समय-समय पर कर्मचारियों की कमी की बात भी लगातार कहते आ रहे हैं। इसके बाद भी आवेदकों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दिया जाना इस बात का प्रमाण है कि उन्हें अनावश्यक रूप से नगर निगम दफ्तर का चक्कर काटने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

आवेदकों ने नगर निगम आयुक्त से 1 माह के भीतर योग्यता के अनुसार सभी आवेदकों को एक साथ अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की है। उन्होंने 1 माह के भीतर मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन आंदोलन और भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। साथ ही यह भी कहा है कि आंदोलन से उत्पन्न होने वाली किसी भी स्थिति के लिए नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा।

यहाँ उल्लेखनीय है कि एक ओर नगर निगम में सेवा देते देते अपनी जान गवा देने वाले कर्मचारियों के आश्रितों को 7 वर्षों से नगर निगम की सत्ता में काबिज कांग्रेस के नेता अनुकंपा नियुक्ति नहीं दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर भ्रष्ट आचरण के लिए कुख्यात और जांच का सामना कर रहे पीआर मिश्रा नामक लेखा अधिकारी को रिटायर होने के चंद दिनों बाद ही दोबारा उसी पद और वेतनमान के साथ नगर निगम कोरबा में राज्य शासन ने संविदा नियुक्ति देकर पदस्थ कर दिया है। इस नियुक्ति के मामले में राज्य के नगरी निकाय मंत्री डॉक्टर शिव डहरिया पर भी लोग उंगली उठा रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान को लेकर भी जनमानस में सवाल उठने लगे हैं। लोग जानना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके सिपहसालार गैर छत्तीसगढ़ी यों को उपकृत कर और मूल छत्तीसगढियों की उपेक्षा कर कौन सा नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का दावा करते हैं? जनमानस को अपने इस सवाल के जवाब की बेसब्री के साथ प्रतीक्षा है। देखना है प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनके सिपहसालार इस सवाल का क्या और कब तक जवाब देते हैं।

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