कपिलेश्वरनाथ मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ

कोरबा 22 मार्च। आरएसएस नगर के कपिलेश्वरनाथ मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा जारी है। वृंदावन के कथावाचक शास्त्री गोविंद महाराज ने पिछली शाम भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि सत्कर्म ही सनातन का प्रधान तत्व है और यही सनातन को खास बनाते हैं। श्रीमद भागवत कथा का आयोजन 25वें वर्ष में हो रहा है। जिले की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता सुधा झा इसका नेतृत्व कर रही हैं। क्षेत्रवासियों का सहयोग प्राप्त हो रहा है। आचार्य गोविंद शास्त्री जी ने श्रीमद्भागवत कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की महिमा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि यह मानव जीवन को सही दिशा देने वाला दिव्य ग्रंथ है। इस ग्रंथ के श्रवण मात्र से भक्तों के पापों का नाश होता है और उनके हृदय में भक्ति, ज्ञान तथा वैराग्य की भावना जागृत होती है।
शास्त्री ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण केवल एक ऐतिहासिक चरित्र नहीं हैं, वे साक्षात परब्रह्म परमात्मा हैं, जो युगों-युगों से धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए अवतरित होते हैं। जब-जब पृथ्वी पर पाप और अत्याचार बढ़ता है, तब भगवान अपनी लीलाओं के माध्यम से भक्तों को सत्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, माखन चोरी, गोवर्धन पूजा, रासलीला तथा गीता उपदेश की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि गीता का ज्ञान मानव मात्र के लिए अमूल्य धरोहर है, जिससे हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में कोई भी परिस्थिति क्यों न हो, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते रहना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने भगवान के नाम संकीर्तन के महत्व पर भी बल दिया और कहा कि कलियुग में केवल हरिनाम संकीर्तन ही मोक्ष का द्वार खोल सकता है। जो भी श्रद्धालु प्रेम और विश्वास से भगवान का नाम लेता है, उसका जीवन कृतार्थ हो जाता है। आचार्य जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सत्संग, भक्ति और सेवा का महत्व समझाते हुए कहा कि जो व्यक्ति भक्ति मार्ग पर चलता है, उसका जीवन आनंद और शांति से परिपूर्ण हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग को अपनाकर कोई भी व्यक्ति भगवत्स्वरूप को प्राप्त कर सकता है।