बन्दूक के साये में उजाड़ा जा रहा हसदेव अरण्य, पेड़ कटाई के दौरान खूनी संघर्ष की खबर

कोरबा/ अम्बिकापुर 18 अक्टूबर। कल गुरुवार 17 अक्टूबर को परसा कोल ब्लॉक के लिए पेडों की कटाई के दौरान ग्रामीणों और पुलिस के बीच खूनी संघर्ष का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक इस घटना में ग्रामीणों के साथ ही टीआई, एसआई, प्रधान आरक्षक, कोटवार सहित 6 पुलिस कर्मी भी जख्मी हुए हैं। घटना सरगुजा के परसा गांव की है। इसके साथ ही साफ हो गया है कि बन्दूक के साये में हसदेव अरण्य को उजाड़ कर ही अदानी और राज्य सरकार दम लेंगे।

जानकारी के मुताबिक परसा कोल ब्लॉक के लिए की जा रही पेड़ों की कटाई के दौरान ये घटना हुई है। ग्रामीणों ने इस दौरान कथित रूप से तीर धनुष, गुलेल और पत्थर से पुलिस पर हमला किया है।

जानकारी के मुताबिक दो पुलिस कर्मियों को तीर लगा है। आपको बता दें कि परसा कोल ब्लाक के लिए पेड़ों की कटाई चल रही है। इसका विरोध ग्रामीण कर रहे हैं। पुलिस की भी काफी तैनाती क्षेत्र में है। इसी बीच ग्रामीण आक्रोशित हो गये और पुलिस-प्रशासन की टीम पर हमला कर दिया। ग्रामीणों ने सैंकड़ों की संख्या में पुलिस कर्मियों पर हमला किया है।

फिलहाल इलाके में बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। जानकारी के मुताबिक सैकड़ो की संख्या में पेड़ों की कटाई का विरोध ग्रामीण कर रहे हैं। ग्राम परसा को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। आपको बता दें कि ग्रामीणों का आक्रोश काफी दिनों से दिख रहा था। लिहाजा भारी संख्या में पुलिस कर्मियों की तैनाती के बीच पेड़ों की कटाई करायी जा रही थी।

दूसरी ओर पूर्व उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव ने सोशल मिडिया में पोस्ट कर कहा है कि- “हसदेव अरण्य में पुलिस बल के दुरुपयोग से आदिवासी भाई-बहनों की ज़मीन छीनने का प्रयास असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण है।

जहां ट्राइबल आयोग ने साफ प्रस्तावित किया था कि आदिवासियों के जंगल और ज़मीन जबरन नहीं छीने जा सकते वहीं फर्जी ग्राम सभा की बातों को आधार बना कर ये अत्याचार किए जा रहे हैं।

हिंसा और बल का प्रयोग निंदनीय है – सैकड़ों वर्षों से ये जंगल इन मूल निवासियों का घर रहा है। विधानसभा में इनकी रक्षा का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया था।

जो खून बहा है वो छत्तीसगढ़ का रक्त है, जंगल की कटाई हमारे पर्यावरण का नुकसान है – ये फैसले सिर्फ़ जनमानस की सर्वसम्मति से ही लिए जाने चाहिए, न कि सत्ता के बल या कॉरपोरेट दबाव में।” उन्होंने घायलों की फोटो भी पोस्ट किया है।

पेड़ कटाई का विरोध कर रहे लोगों के अनुसार अदानी के एमडीओ वाली परसा कोल ब्लॉक के लिए भारी पुलिस फोर्स लगाकर जंगलों को काटा जा रहा है। यह कार्रवाई पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं की सहमति के बिना हो रही है।

स्थानीय निवासियों ने विरोध इस पर प्रकट किया है। आरोप लगाया है कि सरकार आदिवासी समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मित्र अदानी को इन खदानों से रिजेक्ट के नाम पर मुफ्त में कोयला मिलता है।

विरोध करने वालों में आदिवासी समुदाय के लोग, स्थानीय निवासी और पर्यावरण कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की अपील की है और खनन कार्रवाई को रोकने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि पेड़ कटाई से आदिवासियों के आराध्य बूढ़ादेव का पवित्र स्थल भी खतरे में है। इस मामले में सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।

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