हर दसवें दिन एक व्यक्ति की हो रही मौत, 4 साल में 790 ने गंवाई जान, सड़क पर अकाल मौत का बढ़ता जा रहा आंकड़ा

कोरबा 16 सितंबर। औद्योगिक नगरी कोरबा को हादसों का शहर कहना गलत नहीं होगा। शायद ही ऐसा कोई दिन होगा, जब जिले में सड़क दुर्घटना की खबर सुर्खियों में ना रही हो। खासतौर पर कटघोरा-बिलासपुर, कटघोरा-अंबिकापुर नेशनल हाइवे और कोरबा-चांपा मार्ग पर कई ब्लैक स्पॉट हैं। यहां आए दिन हादसे होते रहते हैं।

जिले में 1340 दिनों में 1593 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 790 लोगों की मौत हो चुकी है। जिले में सड़क हादसों में होने वाले मौत का आंकड़ा डराने वाला है। औसतन हर दसवें दिन एक व्यक्ति की मौत हो रही है। यही कारण है कि सड़क हादसों में मृत्युदर कम करने के लिए कोरबा पुलिस नया प्रयोग कर रही है। जिले के डेंजर सड़को पर मार्गमित्रों की नियुक्ति की जा रही है, जो बिना किसी डर के सड़क दुर्घटना की सूचना पुलिस को देने के साथ ही घायलों को अस्पताल पहुंचाने का काम करेंगे। बीते 4 साल में 790 लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले चार साल के आंकड़ों पर गौर करें तो सड़क दुर्घटना में होनेवाले मृत्युदर में लगातार इजाफा हुआ है। कोरबा पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों की मानें तो साल 2021 में सड़क हादसे के शिकार 136 लोगों की मौत हुई थी। साल 2022 में मौत का आंकड़ा बढ़कर 193 तक पहुंच गया।

साल 2023 में 214 लोगो की जान गई. साल 2024 में 8 महीने के भीतर ही अब तक 247 लोग असमय मौत के मुंह में समा चुके हैं। एक साल में सड़क हादसों में मृत्यु दर में 15 फीसद बढ़ी है। बढ़ते मृत्युदर पर लगाम लगाने के लिए पुलिस अब मार्गमित्र की मदद ले रही है। जिले की परिधि में इसमें 26 समितियां बनाई गई है, जहां 107 मार्ग मित्र बनाए जा चुके हैं। इनमें स्थानीय पान दुकान, होटल संचालक समेत सड़क किनारे रहने वाले लोग शामिल हैं। जो हर वक्त सड़कों के किनारे ही रहते हैं, उनकी आजीविका हाईवे से जुड़ी रहती है।

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