मेहता अवार्ड फैसले को मिली चुनौती, एसईसीएल की याचिका खारिज
कोरबा 06 सितंबर। उच्चतम न्यायालय ने एसईसीएल की विशेष अनुमति याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसमें उच्च न्यायालय की अनुमति से बनी मेहता अवार्ड के फैसले को चुनौती दी गयी थी। मेहता अवार्ड में कंपनी से निकाले गए 160 से अधिक कर्मचारियों को एसईसीएल कर्मचारी बताया गया था। 40 साल बाद आए फैसले से श्रमिकों को खुशी का माहौल है। उच्चतम न्यायालय ने निर्णय लेते हुए कहा है कि उच्च न्यायालय के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है, जिससे हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।
केंद्र सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों को एसईसीएल में काम देने योजना लायी गयी थी। इसके तहत पूर्व श्रमिकों ने आरएपी, केएनपी, ईएनई कंपनी बनाकर काम करना शुरू किया। एसईसीएल कंपनी में काम करने वाले श्रमिकों को सभी सुविधाएं देती थी, लेकिन 5-6 साल बाद यह कहकर काम से निकाल दिया कि कंपनी के पास लाइसेंस नहीं है। ईएनई में काम करने वाले एक श्रमिक ने बताया कि इस मामले को लेकर श्रम न्यायालय जबलपुर में याचिका लगाई थी। इसमें हमारे पक्ष में फैसला आया था। इसके बाद एसईसीएल ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन क्षेत्रीय श्रम आयुक्त केंद्रीय के निर्णय को उच्च न्यायालय ने भी सही ठहराया। एसईसीएल ने पुनरू उच्चतम न्यायालय में अपील की, जिसे उच्चतम न्यायालय ने भी खारिज कर दिया। यह न्यायमूर्ति पमिडिघंटम नरसिम्हा व न्यायमूर्ति संदीप मेहता की दो सदस्यीय पीठ में चल रहा था। एसईसीएल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार सिन्हा ने दलीलें पेश की। ामिकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एस.के. गंगेले और पृथ्वीराज चौहान ने इसकी पैरवी की। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एसईसीएल इस मामले से संबंधित किसी अन्य दावे को ठेकेदार के खिलाफ अदालत में लाने स्वतंत्र है। यह फैसला उस अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा। श्रमिक रहे एक व्यक्ति ने बताया कि जब काम से निकाला गया, उस समय 160 एसईसीएल के कर्मचारी थे, अब 120 लोग ही जीवित हैं।
एचएमएस के केन्द्रीय महामंत्री नाथूलाल पांडेय का कहना है कि 40 साल संघर्ष के बाद श्रमिकों को जीत मिली है। अपने हित के लिए श्रमिक लड़ाई लड़ रहे थे। अब जाकर न्याय मिला है। एसईसीएल प्रबंधन ने श्रमिकों को वर्षों तक अदालत में उलझाए रखा, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने अंततरू श्रमिकों की पीड़ा को समाप्त कर दिया है। आगे भी उनके हक के लिए संघर्ष करते रहेंगे।