वन विभाग की रोचक पहल: हाथी मानव.द्वंद्व रोकने छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य व संगीत का सहारा

कोरबा 27 सितंबर। वन विभाग के रेंजर संतोष कुर्रे अपनी टीम के साथ रोचक व देसी अंदाज में लोगों को हाथी से बचाव का संदेश दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य व गीत के माध्यम से हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को यह बता रहे हैं कि यदि गांव में हाथी आ जाए तो किस तरह मशाल, पटाखा व ढोल का उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही धार्मिक भावना से ग्रामीणों को जोड़ते हुए हाथी को भगवान गणेश का रूप बता उनकी जान खतरे में नहीं डालने का संदेश संगीतमय व नाटकीय तरीके से दे रहे हैं।

रेंजर ने अपने साथ स्थानीय कलाकारों को जोड़ा है। यह टीम न केवल गांव-गांव घुमकर हाथी-मानव द्वंद्व रोकने लोगों को जागरूक कर रही। इस टीम ने संगी हाथी ले दूरिहा रहो गुस्सा जाथे, मोबाइल में फोटो खींचे झन जाहौ संगी.. की बोल से एलबम गीत तैयार किया है। इसे इंटरनेट मीडिया में प्रसारित कर ग्रामीणों तक पहुंचाया जा रहा। यह वीडियो सांग कटघोरा वनमंडल के वन कर्मी संतोष रात्रे ने कुछ इस ढंग से तैयार किया है कि ग्रामीण सीधे सपाट ढंग से वन विभाग के संदेश को समझ सकें। उनके इस प्रयास को खासकर हाथी प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीणों की खूब सराहना मिल रही है।

इन वीडियो गीत और ग्रामीण अंचल में वन विभाग की यह संगीतमय पहल चर्चा का विषय बना हुआ है। जिले के वन्य क्षेत्रों में हाथियों के लगातार उत्पात को देखते हुए की जा रही ग्रामीणों को जागरुक करने की यह कोशिश रंग लाएगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है। इस तरह से ग्रामीण रोचक व सरल तरीके से मनोरंजन के साथ हाथियों से बचाव के संबंध में भी किए जा रहे उपाय को जान रहे हैं, जो आपात स्थिति में अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसके अलावा वन अमला नेशनल हाईवे के साथ ही चोटिया मार्ग पर सूचना बोर्ड लगा रहा है, ताकि अनजान लोगों को सजग किया जा सके। सूचना बोर्ड उन स्थानों पर लगाया गया है, जहां से हाथी सड़क को पार कर दूसरे जंगल में पहुंचते हैं। इससे मार्ग पर आवाजाही करने वाले अनजान लोगों को भी हाथियों के संबंध में जानकारी मिल सकेगी।
अंधेरा होते ही रतजगा करने की मजबूरी

कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां के लोग इस डर में जी रहे कि न जाने हाथी कब गांव में आ जाए और उन्हें सब छोड़कर जान की फिक्र करनी पड़ती है। इस वजह से दिन में खेत नहीं जा पाते तो अंधेरा होते ही रतजगा भी करने को मजबूर रहते हैं। कटघोरा वन मंडल में चार साल से हाथियों से समस्या बढ़ गई है। पहले हाथी घूम कर चले जाते थे। ग्रामीणों का कहना है कि खासकर जब पास के जंगल में हाथियों ने डेरा डाल रखा हो, तो वे रात में सो नहीं पाते। दिन में फसल की रखवाली भी नहीं कर पाते। कई बार रात को हाथियों की अचानक आमद के डर की वजह से परिवार समेत मंदिर के ऊपर जाकर अपनी जान बचाते हैं। इस क्षेत्र में मातिन, खड़पड़ीपारा, पोड़ी खुर्द समेत अन्य गांवों में इन दिनों लोग फसल की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

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