कविता @ भरत स्वर्णकार
प्रस्तुति- विजय सिंह
,,,,, लाला अभी जिंदा है ,,
धान में नमी है ?
नहीं बाबूजी ।
मैं कहता हूं
नमी है तो है
कम रेट लगेगा ।
वह क्या करे ?
अच्छा । जो आपकी मर्जी ।
पांच बोरी खाद चाहिए ।
स्टाक नहीं है ।
बहुत जरूरी है सेठ जी ।
पचास रूपया ऊपर लगेगा ।
जी । हुजूर ।
अनाज कल से
मंडी में रखा है
नाप दो साहेब ।
आज टाईम नहीं है
कल देखेंगे ।
नहीं मालिक ।
बहुत मुसीबत में हूं ।
अच्छा !अच्छा ।
कमीशन लगेगा ।
जैसा आप समझें ।
कौन कहता है
लाला मर गया ।
दुर्ग, छत्तीसगढ़