सल्फर डाइआक्साइड गैस उत्सर्जन में देश में तीसरे क्रम में है कोरबा, वर्ष 2018 के तुलना में 2019 में 10 फीसदी की हुई बढ़ोतरी

नईदिल्ली 10 अक्टूबर। ग्रीनपीस इंडिया और सेंटर फार रिसर्च आन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की वार्षिक रिपोर्ट में सर्वाद्यिक सल्फर डाइआक्साइड गैस उत्सर्जन में मध्य प्रदेश के सिंगरौली का नाम सबसे ऊपर है। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु का नेवेली व तीसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ का कोरबा है। यह स्थिति तब है जब पूरे विश्व में सल्फर गैस के उत्सर्जन में छह प्रतिशत की गिरावट आई है।

सल्फर डाइआक्साइट (एसओ-टू) एक जहरीला गैस है जिसके प्रदूषण से स्ट्रोक (पक्षाघात), हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर और अकाल मौत का जोखिम बढ़ जाता है। पर्यावरण के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संस्थान (एनजीओ) ग्रीनपीस ने कोयला, तेल व गैस के जलने से होने वाले एसओ-टू उत्सर्जन पर विश्लेषण किया है। इसका सबसे बड़ा कारण विद्युत संयंत्रों और अन्य औद्योगिक इकाइयों में जीवाश्म ईंद्यन का जलना है। जारी रिपोर्ट के अनुसार सिंगरौली में वर्ष 2018 में 442 किलो टन एसओ-टू उत्सर्जित हुआ जो 2019 में ब़ढ़कर 479 किलो टन हो गया है। 8.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सिंगरौली एसओ-टू प्रदूषण में देश में पहले और विश्व में छठे स्थान पर है। तमिलनाडु के नेवेली शहर में 15 प्रतिशत प्रदूषण घटा है। उसके बावजूद यह शहर देश में दूसरे व विश्व में 14वें स्थान पर है। छत्तीसगढ़ का कोरबा 282 किलो टन एसओ-टू उत्सर्जन के साथ भारत में तीसरे व विश्व में 17 वें स्थान पर है। कोरबा में एसओटू उत्सर्जन में वर्ष 2018 के तुलना में वर्ष 2019 में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेनर अविनाश चंचल का कहना है कि प्रदूषण नहीं फैलाने वाले ईंद्यन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। इसके लिए राज्य सरकार भी जवाबदेह है।

2022 तक लगाया जाना है एफजीडी

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने वर्ष 2015 में सभी बिजली संयंत्रों को वर्ष 2017 तक फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) सिस्टम लगाने के लिए कहा था। क्षेत्रीय पर्यावरण अद्यिकारी आरआर सिंहएफजीडी स्थापना के लिए केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय ने बिजली संयंत्रों को 2022 तक समय दिया है। इस समय सीमा में सुद्यार कराने की पूरी कोशिश की जा रही है। वर्तमान में एनटीपीसी जमनीपाली व छत्तीसगढ़ विद्युत उत्पादन कंपनी के हसदेव ताप विद्युत संयंत्र में एफजीडी सिस्टम लगाया जा रहा है। इसपर करीब 12 सौ करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

भारत पहले, रूस दूसरे व चीन तीसरे नंबर पर

भारत लगातार पांचवें साल दुनिया के सबसे बड़े एसओ-टू उत्सर्जक देशों की सूची में पहले स्थान पर है। यहां वर्ष 2019 में दुनिया के कुल मानव निर्मित एसओ-टू का सर्वाद्यिक 21 प्रतिशत उत्सर्जित हुआ। यह मात्रा सूची में दूसरे स्थान पर शामिल रूस से लगभग दोगुनी है। चीन तीसरे नंबर पर है। रिपोर्ट में सल्फर डाइआक्साइड को सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक बताया गया है।

Spread the word