बालको बंद कर रहा चोटिया कोयला खदान: पांच हजार लोगों की रोजी- रोटी होगी प्रभावित, 300 ठेका श्रमिकों का काम बंद, हड़ताल चालू

कोरबा 27 जुलाई। वेदांता समूह के भारत अल्युमिनियम कम्पनी (बालको) ने चोटिया कोयला खदान को बंद करने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है। इसके साथ ही 5 हजार लोगों की रोजी- रोटी जाने का खतरा पैदा हो गया है। शुरुआत में 300 से अधिक ठेका मजदूरों को जवाब दे दिया गया है, जिसके चलते शनिवार से बेमुद्दत हड़ताल शुरू कर दी गयी है।

जानकारी के अनुसार बालको प्रबंधन प्रचारित कर रहा है कि चोटिया कोयला खदान में कोयला डिपॉजिट खत्म हो गया है। लिहाजा खदान को बंद किया जा रहा है। इसी कड़ी में खदान में कार्यरत ठेका कम्पनी धनसार इंजीनियरिंग का कार्य ठेका की निर्धारित अवधि पूर्ण होने से पहले ही बंद किया जा रहा है। धनसार इंजीनियरिंग ने अपने अधीन कार्यरत 300 से अधिक मजदूरों और ऑपरेटर्स को जवाब दे दिया है। टेंडर की शर्तों के विरूद्ध पहले ही कार्य बंद कर ठेका कंपनी ने कामगारों को मुश्किल में डाल दिया है, जिसके कारण उनके तेवर सख्त हो गए हैं। मजदूरों ने चोटिया कोल ब्लॉक में बगावत कर दी है और आंदोलन शुरू कर दिया है।

केन्द्र सरकार ने कुछ वर्ष पहले ही नीलामी में यह कोल ब्लॉक बालको को आवंटित किया था। यहां से कोयला खनन कर उद्योग प्रबंधन अपनी जरूरत की पूर्ति कर रहा है। जानकारी के मुताबिक धनसार इंजीनियरिंग कंपनी (डैको) के द्वारा यहां पर कोयला उत्खनन संबंधित काम किया जा रहा था। उसे तीन साल के लिए टेंडर दिया गया है। इसी अवधि तक के लिए ठेका कम्पनी ने कामगारों को नियोजित किया गया था। अभी पूरा निर्धारित समय पूरा हुआ ही नहीं है और इससे पहले ही डैको ने काम को खत्म कर दिया। कहा गया है कि यहां पर कोयला नहीं है। ऐसे में काम करने का कोई मतलब नहीं। जबकि कामगारों का कहना है कि बेमतलब परेशान करने के लिए यह सब किया जा रहा है। उन्होंने शनिवार से ठेका कंपनी के खिलाफ चोटिया में प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उनकी मांग है कि या तो काम कराया जाए या फिर 14 महीने के वेतन का भुगतान कराया जाए। हड़तालियों के मुताबिक ऑपरेटर व मजदूरों को टेंडर शर्त के तहत तीन वर्ष के लिए नियोजित किया गया था। ऐसे में उन्होंने दूसरी जगह कोशिश नहीं की। इधर समय से पहले ही ठेका कंपनी ने हाथ खड़े कर दिए और कामगारों को मुश्किल में डाल दिया। कामगारों ने पुरजोर तरीके से कहा है कि जब तक उनकी मांगों पर उचित कदम नहीं उठाया जाता है, प्रदर्शन चलता रहेगा। कामगार हड़ताल की जानकारी मिलने के बाद पुलिस बल ने मोर्चा संभाल लिया है। प्रशासन को भी इसकी जानकारी दी गई है।

उधर जानकारी मिल रही है कि चोटिया में पर्याप्त कोयला डिपॉजिट है, लेकिन बालको प्रबंधन की रुचि यहां से कोयला उत्पादन में नहीं है। क्योकि उसे यहां से उत्पादित कोयला से सस्ते मूल्य पर बाहर से कोयला मिल रहा है। इसके अलावे, बालको के सामने अपने पॉवर प्लांट के राखड़ के निपटान की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। अब बालको प्रबंधन इस खदान का उपयोग राखड़ बांध के रूप में करना चाहता है। अगर यह सच है और बालको को इस बात की अनुमति दे दी जाती है, तो यह कोयला ईंधन के रूप में देश की अपूरणीय क्षति होगी।

इसके अलावा, चोटिया कोयला खदान बन्द हो जाने से इस पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आश्रित 5 हजार से अधिक लोगों की रोजी- रोटी छीन जाएगी। क्षेत्र के सैकड़ों किसानों को नियमित नौकरी और सुविधाएं देने का वादा अभी भी पूरा नहीं हुआ है। अब तक उन्हें नियोजित किये जाने की उम्मीद थी, लेकिन अब उनकी यह आशा भी टूट जाएगी। बहरहाल देखना होगा कि स्थानीय प्रशासन और राज्य शासन बालक प्रबन्धन को प्रश्रय देता है या गरीब मजदूरों और किसानों को उनका हक दिलाता है?

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