मवेशी बाजार वसूली घोटाला : सीएमओ और कैशियर को पुलिस ने भेजा जेल.. मामले में नगरीय प्रशासन विभाग की भूमिका संदिग्ध

मुंगेली। मुंगेली नगर पालिका के हाईप्रोफाइल मवेशी बाजार घोटाला मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तत्कालीन सहायक राजस्व निरीक्षक और वर्तमान में राहोद के सीएमओ मोरिस राज सिंह के साथ तत्कालीन कैशियर यतेंद्र पांडेय को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को रिमांड पर जेल भेज दिया गया है. वहीं मामले में अब भी प्रशासनिक कार्रवाई लंबित होने से कई सवाल उठ रहे हैं.

सिटी कोतवाली थाना प्रभारी तेजनाथ सिंह ने बताया कि एसएसपी गिरिजाशंकर शंकर जायसवाल के निर्देश पर मवेशी बाजार मामले की विवेचना कर रही टीम ने प्राप्त दस्तावेज साक्ष्य एवं गवाहों के कथन के मुताबिक, आरोपी मॉरिस राज सिंह और यतेंद्र पांडेय को तलब कर पूछताछ किया था. आरोपी मोरिस ने 2022 और 2023 में कुल 17 नग मवेशी बकरा-बकरी रसीद में वसूली कर यतेंद्र पांडेय के पास वसूली रकम और कलेक्शन रजिस्टर को जमा करना बताया. मॉरिस द्वारा कार्बन रसीद में कूरचना कर साक्ष्य छिपाया गया था, जिसके कारण धारा 201 (भादवि) जोड़ी गई. वहीं यतेंद्र ने भी जमा रसीद पेश न कर मॉरिस के अवकाश अवधि में रसीद क्रमांक 129 राम भजन यादव के नाम से जारी रसीद बुक में मवेशी बाजार वसूली की रकम को दर्ज किया है.

विवेचना में आरोपी मॉरिस राज सिंह एवं यतेंद्र पांडेय के विरुद्ध 420, 408, 409, 467, 468, 471, 201, 34 भादवि के तहत अपराध सबूत पाए जाने पर गिरफ्तार किया गया. इसके साथय़ आरोपियों के विरुद्ध ज्यूडिशियल रिमांड तैयार कर न्यायालय में पेश किया गया और जेल भेज दिया गया.

प्रशासनिक कार्यवाही में विलम्ब से उठ रहे सवाल

मामले में पुलिस ने अब तक नगरपालिका के 3 राजस्व अधिकारी को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया है. वहीं नगरीय प्रशासन के उच्च स्तरीय जांच में दोष स्पष्ट पाया गया है, लेकिन विभागीय कार्रवाई के नाम फाइल दफ्तर-दफ्तर घूम रही है. वहीं इस घोटाले को अंजाम देने वाले अधिकारी राडार में है, जिनके विरुद्ध साक्ष्य जुटाने में पुलिस जुटी हुई है.

2017 का है मामला

वर्ष 2017 से मुंगेली नगरपालिका द्वारा मवेशी बाजार में मवेशियों के क्रय-विक्रय के लिए पंजीयन शुल्क क्रेता से की जाती है. वसूली राजस्व निरीक्षक व बाजार प्रभारी द्वारा की जाती है. इस मामले में मवेशी की खरीदी-बिक्री की रसीद की मूलप्रति और कार्बन कॉपी में कूटरचना कर करोड़ों रुपए का खेला किया गया है. आरोपियों द्वारा मवेशी बाजार में काटी गई रसीद की मूल प्रति में भारी भरकम राशि वसूली कर कार्बन रसीद में घर बैठकर मामूली राशि भरकर राजस्व विभाग में जमा किया जाता था. बाकी शेष राशि को सिंडिकेट बनाकर बंदरबांट किया जाता था.

शिकायत से हुआ पर्दाफाश

मुंगेली के अनिल तम्बोली ने मामले की नगरीय प्रशासन के उच्च विभाग में शिकायत और पुलिस थाने में एफआईआर के लिए आवेदन दिया था. प्रार्थी की शिकायत पर पुलिस ने एसडीएम न्यायालय से मार्गदर्शन मांगा था, जिस पर एसडीएम ने प्रकरण दर्ज कर जांच टीम गठित किया था. पूछताछ में राजस्व निरीक्षक रामकुमार महिलांगे ने राशि गबन करना स्वीकार किया. वहीं इस मामले में बाकी सभी अधिकारी अनुपस्थित रहे. जांच टीम के प्रतिवेदन के आधार पर मुंगेली एसडीएम के आदेश पर पुलिस ने नगरपालिका के अज्ञात अधिकारी-कर्मचारी व अन्य के खिलाफ 420, 408 एवं 34 के तहत मामला दर्ज किया था.

ये अफसर हैं घोटाले के सूत्रधार

विभाग की उच्च स्तरीय जांच में शिकायत की पुष्टि करते हुए गबन के लिए मुख्य नगरपालिका अधिकारी अनुभव सिंह, तत्कालीन सहायक राजस्व निरीक्षक मोरिस राज सिंह और प्रभारी कैशियर यतेंद्र पांडे को उत्तरदायी पाया था, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई अभी तक लंबित है. मामले पर सचिव स्तर पर कार्रवाई के लिए फाइल नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे दफ्तरों के चक्कर काट रही है, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है. वहीं आरोपी मुख्य नगरपालिका अधिकारी अनुभव सिंह वर्तमान में अंडरग्राउंड हैं जिनकी किसी को खोज खबर नही हैं.

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