डुमरडीह में खटाल की आड़ लेकर वन भूमि में किया जा रहा है बेजा कब्जा, विभाग बना मूक दर्शक

कोरबा 13 जुलाई। वन मंडल कार्यालय कोरबा से चंद कदम दूर कोरबा कोरकोमा मार्ग पर डुमरडीह गांव में भैंस खटाल की आड़ में करीब 5 एकड़ वन भूमि पर बेजा कब्जा किया जा रहा है। वन विभाग मुक दर्शक बनकर बेजा कब्जा होने दे रहा है।

वन मंडल कोरबा में वर्षों से जंगल राज कायम है। इसी का नतीजा है कि पूरे वन मंडल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वन भूमि में बेजा कब्जा कर लिया गया है। विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों की मिलीभगत और अनदेखी के कारण कोरबा शहरी क्षेत्र में ही बड़े पैमाने पर वन विभाग की जमीनों पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। अतिक्रमण का यह सिलसिला निर्वाध गति से जारी है। ताजा मामला कोरबा शहर के सरहदी गांव डुमरडीह का है।

डुमरडीह में एक परिवार में वन भूमि पर न केवल अपना घर बना रखा है बल्कि मवेशियों का कोठा भी बना रखा है। इसके अलावे अपने घर के आसपास वन भूमि में लगभग 5 एकड़ क्षेत्र में जगह-जगह मवेशियों को बढ़ने के लिए खूंटा गाड़ रखा है। मवेशियों को पूरे क्षेत्र में फैलाकर बांधकर रखा जाता है। ग्रामीणों के अनुसार यह भेजा कब्ज की प्रारंभिक प्रक्रिया है। बाद में इस पूरे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया जाएगा और कटीले तारों की फेंसिंग लगा ली जाएगी अथवा पक्का बाउंड्री वाल बना लिया जाएगा। खटाल की आड़ में क्रमशः किया जा रहा है। यह बेजा कब्जा कोरबा से कोरकोमा जाते वक्त मुख्य मार्ग से ही बाय दिशा में साफ दिखाई पड़ता है। इस मार्ग से वन विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों का प्रतिदिन आवागमन होता है, लेकिन विभागीय अमला बेजा कब्जा पर रोक लगाने का कोई प्रयास नहीं करता।

कोरबा वन मंडल में डुमरडीह गांव के अलावा भी वनों के भीतर अंदरूनी क्षेत्रों में सैकड़ो एकड़ वन भूमि पर सुनियोजित तरीके से बेजा कब्जा कर लिया गया है। अतिक्रमण का यह सिलसिला पूरे वन मंडल क्षेत्र में अभी भी लगातार जारी है। बताया जा रहा है कि इस तरह का अतिक्रमण क्षेत्रीय वन परिक्षेत्र अधिकारी और अधीनस्थ अमले के द्वारा भू माफिया के साथ सांठगांठ कर कराया जाता है। इसका एक दुखद पहलू यह भी है कि जिन क्षेत्रों में बेजा कब्जा कराया जाता है वहां बड़ी संख्या में पेड़ों का विनाश भी किया जाता है और लड़कियां बेचकर भी मोटी कमाई की जाती है। हालात इतने बदतर हैं कि सघन वनों के बीच अनेक फार्म हाउस भी सफेदपोशों ने बना रखा है। अगर उन्होंने ऐसे फार्म हाउस के लीगल दस्तावेज भी बनवा लिए हो तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। क्षेत्र में बड़ी संख्या में जमीन दलाल सक्रिय हैं। देखना होगा कि वन विभाग की नींद कब खुलता है और लगातार जारी बेजा कब्जा पर कब अंकुश लगाया जाता है?

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