कोयला लेवी वसूली मामले में दो कोल कारोबारी सगे भाई गिरफ्तार

ईओडब्ल्यू की कार्रवाई, 20 तक भेजे गए रिमांड पर

कोरबा 15 जून। कोयला लेवी वसूली के मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की टीम ने कोरबा के कोल कारोबारी दो भाई हेमंत और चन्द्रप्रकाश जायसवाल ऊर्फ संजय को गिरफ्तार किया है। दोनों को विशेष न्यायालय (भ्रष्ट्राचार निवारण अधिनियम) रायपुर के समक्ष प्रस्तुत किया। न्यायालय ने दोनों को 20 जून तक पुलिस रिमांड पर ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है।

छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में कोल परिवहन के नाम पर 540 करोड़ रूपये का घोटाला किया गया था। कोल परिवहन के नाम पर हुए अवैध कोल लेवी मामले में ईडी ने पहले ही कोरबा की पूर्व कलेक्टर रानू साहू समेत कुछ आइएएस अफसरों के साथ ही पूर्व सीएम की उप-सचिव सौम्या चौरसिया और कोयला कारोबारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। वर्तमान में कोल लेवी घोटाले की जांच ईओडब्लू कर रही है। ईओडब्ल्यू की टीम ने जांच को बढ़ाते हुए इस अवैध वसूली के मामले में लिप्त आरोपियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी है। 13 जून को टीम ने बिलासपुर से कोयला कारोबारी हेमंत जायसवाल और कोरबा राताखार निवासी उसके भाई चंद्रप्रकाश जायसवाल को गिरफ्तार कर लिया है। ईओडब्ल्यू ने कहा है कि दोनों आरोपित कोल लेवी के पैसों का कलेक्शन करते थे । जांच के दौरान साक्ष्य मिलने के बाद दोनों की गिरफ्तारी किया गया किया गया है।

ईओडब्ल्यू का दावा है कि दोनों आरोपितों से पूछताछ के बाद इस मामले में और भी कई चौकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं। यहां बताना होगा कि हेमंत जायसवाल का संबंध कोल लेवी के मुख्य आरोपित सूर्यकांत तिवारी से है। जिसके माध्यम से ही 25 रुपये प्रति टन की दर से कोयला लेवी वसूली की जाती थी। खदान से निकलने वाले लिकेंज व रोड सेल के कोयला के लिए खनिज विभाग से ट्रांजिट पास जारी किया जाता था। यह पास तब तक नहीं दिया जाता था, जब तक राशि जमा नहीं हो जाती थी। सूर्यकांत की टीम राशि मिलने की सूचना देती थी, तब पास संबंधित कंपनियों को प्रदान किया जाता था। जांच के दौरान इस मामले में तत्कालीन खनिज अधिकारी एसएस नाग की भूमिका सामने आने पर उन्हें भी गिरफ्तार किया गया था। ईओडब्ल्यू ने अब एक बार फिर इस मामले में जांच तेज कर दी है। ईओडब्ल्यू ने कहा है कि अवैध कोल लेवी वसूली मामले में दर्ज अपराध धारा-7, 7-ए, 12 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम धारा 120 बी, 384, 420 की विवेचना की जा रही।

जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया था कि अवैध रूप से वसूली की 100 करोड़ रुपयेर का निवेश कोरबा- चांपा मार्ग में स्थित एक कोल वाशरी खरीदने के लिए किया गया था। सूर्यकांत तिवारी के भाई रजनीकांत व हेमंत जायसवाल के नाम पर यह वाशरी खरीदी गई और तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू ने रातो रात इसकी रजिस्ट्री कराई थी। जांच के दौरान मामला सामने पर कोलवाशरी की रजिस्ट्री दूसरे के नाम पर स्थानातंरित कर दी गई थी।

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