शुद्ध पेयजल की उपलब्धता पर चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर में वैज्ञानिक कार्यशाला का आयोजन
रायपुर. 31 मई 2024. सामुदायिक स्तर पर स्वच्छ जल की उपलब्धता एवं गुणवत्ता के संबंध में पं.ज.ने. स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर (छ.ग.) के सामुदायिक चिकित्सा विभाग में संस्था एवं यूनिसेफ के सहयोग से गुरुवार को एक दिवसीय कार्यशाला “जल मंथन 2.0” का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्न विभाग जैसे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा, नगरी प्रशासन, पंचायत इत्यादि के प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यशाला में स्वच्छ पेय जल की गुणवत्ता, जैविक एवं रसायनिक शुद्धता (Microbial and chemical standard), जल गुणवत्ता परीक्षण एवं दूषित पानी से होने वाले विभिन्न रोगों के संबंध में विस्तृत परिचर्चा की गई। इस परिचर्चा में विभिन्न विभागों के प्रतिभागियों ने इससे संबंधित उनके विभाग में संचालित गतिविधियों एवं अनुभवों को साझा किया तथा भविष्य की कार्ययोजना तैयार कर विभिन्न विभागों में सामंजस्य स्थापित करने हेतु सहमति बनी। इस कार्यशाला के शुभारंभ समारोह में पं.ज.ने. स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर (छ.ग.) के प्रभारी अधिष्ठाता, पैथोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. अरविंद नेरल मुख्य अतिथि थे। मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में डॉ. नेरल ने कहा कि जनसमान्य लोगों में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता मात्र से ही अनेक जल जनित रोगों में नियंत्रण किया जा सका है जो कि जल जीवन मिशन की बड़ी उपलब्धि है। फिर भी इस दिशा में और वैज्ञानिक एवं तकनीकी कार्य करने की आवश्यकता है जिससे जलजनित बीमारियों को पूर्णतः नियंत्रित किया जा सके।
कार्यशाला में जल जीवन मिशन एवं यूनिसेफ द्वारा वाटर टेस्टिंग की तकनीकों पर प्रकाश डाला गया। जल जनित रोगों एवं उनके रोकथाम के संबंध में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. निर्मल वर्मा द्वारा विचार व्यक्त किये गये, जिसमें उन्होंने जल में पाए जाने वाले जीवाणुओं, उनके होने के संकेत पर प्रकाश डाला एवं रोकथाम के उपायों पर चर्चा की। श्रीमती आशा लता गुप्ता, राज्य नोडल अधिकारी जल गुणवत्ता ने जल जनित रोगों से होने वाले प्रभावों पर प्रकाश डाला। श्री परिमल दत्ता, मुख्य रसायनज्ञ ने वर्तमान में की जा रही जांच एवं जल के गुणवत्ता के बारे में बताया। श्री उमेश साहू एवं डॉ. चयनिका नाग ने भी अपने विचार कार्यशाला में रखे। पेयजल की जैविक गुणवत्ता के संबंध में चिकित्सा महाविद्यालय के माईक्रोबायोलॉजी विभाग की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नेहा सिंह द्वारा वैज्ञानिक तथ्यों को रखा गया। कार्यशाला के अंत में छत्तीसगढ़ राज्य हेतु पेयजल की गुणवत्ता के सुचारू रूप से संचालन हेतु रोडमैप तैयार कर शासन के समक्ष प्रेषित करने के लिए अनुशंसा की गई है। कार्यशाला में प्रमुख रूप से श्रीमती आशा लता गुप्ता, राज्य नोडल जल गुणवत्ता, जल जीवन मिशन, श्री परिमल दत्ता, मुख्य रसायनज्ञ, श्री उमेश साहू, यूनिसेफ, श्री देवी दास, समर्थन, श्रीमती बिरजा, यूनिसेफ, डॉ. चयनिका, आई.डी.एस.पी. से सम्मिलित हुए।