कोरबा: सरकार बदल गई, पर शराब घोटाला पर नहीं लगी रोक
कोरबा में बदस्तूर जारी है शराब का गोरखधंधा, प्रताड़ित किये जा रहे हैं अनुसूचित जनजाति के परिवार
कोरबा 31 मई। छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला के लिए कुख्यात कांग्रेस सरकार बदल गई और कई रसूखदार जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए लेकिन शराब घोटाला पर अब तक विराम नहीं लगा है। एक और जहां निर्धारित मूल्य से अधिक दर पर नशीले पदार्थों की बिक्री की जा रही है, वहीं दूसरी ओर दो नंबर के शराब की बिक्री की खबरें भी सुनने में आ रही है।
मिली जानकारी के अनुसार कोरबा के शारदा विहार शराब दुकान में 180 रुपये मूल्य का बियर 200 रुपये में बेचा जा रहा है। इसके अलावा जिले के शराब दुकानों में बड़ी तादाद में मिलावट किए जाने की खबरें भी सुनने में आ रही है। बताया जा रहा है कि विभिन्न शराब दुकानों में ऊंची किस्म की शराब में हल्की क्वालिटी के शराब की मिलावट की जा रही है। संबंधित लोगों के पास बन्द बोतल को खोलकर मिलावट करने और उसे दोबारा सील बंद करने की सुविधा उपलब्ध है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले की शराब दुकानों में वैधानिक रूप से उपलब्ध कराई गई शराब के अलावा बड़ी मात्रा में अवैध शराब भी बेची जा रही है। अवैध शराब से अर्जित आय शासन के खजाने में ना जाकर स्वाभाविक रूप से घोटाले बाजों की तिजोरी में जा रही है। सूत्रों का कहना है कि शराब की कीमतों में की गई वृद्धि के चलते शासन के राजस्व में कोई कमी नहीं आ रही है, बल्कि पूर्व की तुलना में आय में वृद्धि ही हुई है। यही वजह है कि अवैध शराब की बिक्री को लेकर शासन को किसी भी स्तर पर संदेह होने की गुंजाइश नहीं बची है। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इतने बड़े घोटाले के पीछे कहीं ना कहीं कोई उच्च स्तरीय संरक्षण हो सकता है।
हैरानी की बात तो यह है कि जिले में पदस्थ जिस अधिकारी पर शराब घोटाले में शामिल होने का संदेह है और जिसके ठिकानों पर ई डी ने छापा मार कार्रवाई की थी, वह अधिकारी अभी भी जिले में पदस्थ है और संपूर्ण कारोबार का संचालन वही कर रहा है। ई डी की कार्रवाई के बाद संबंधित अधिकारी को जिले से क्यों नहीं हटाया गया और जिले में दोहरा प्रभार देकर क्यों रखा गया है? यह सवाल विभाग में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
इतना ही नहीं सूत्रों का कहना है कि एक और जहां सरकारी शराब दुकानों में बड़े पैमाने पर घोटाला हो रहा है, वहीं दूसरी ओर वनवासी बाहुल्य जिले में अनुसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ आए दिन फर्जी मामले बनाए जा रहे हैं। मामलों को रफा दफा करने के लिए अनुसूचित जनजाति के लोगों से भारी भरकम रिश्वत की भी वसूली की जा रही है। जो व्यक्ति आबकारी अमले की मांग पूरी करने में असफल रहते हैं, ऐसे लोगों के खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत प्रकरण बना दिया जाता है। जिन लोगों से मुंहमांगी रकम मिल जाती है, ऐसे लोगों के मामले को रफा दफा कर दिया जाता है। सूत्रों का यह भी दावा है कि आबकारी विभाग के कर्मचारियों ने किराए पर बाउंसर ले रखा है जो उनके साथ लोगों के घरों में छापामार कार्रवाई करते हैं और शराब ठेकेदारों के पंडों की स्टाइल में भोले भाले ग्रामीणों को प्रताड़ित करते हैं। कोरबा जिले में हो रहे शराब घोटाले और अनुसूचित जनजाति के लोगों की प्रताड़ना को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से कार्रवाई की अपेक्षा की गई है।