बांगो के समूह जल प्रदाय योजना बंद, फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से ग्रामीणों में हो रही बीमारियां
कोरबा 01 अपै्रल। पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के फ्लोराइड प्रभावित गांवों की समस्या कभी खत्म न होने वाली दुविधा बन कर रह गई है। प्रभावित गांवों तक पानी पहुंचाने के लिए समूह जल प्रदाय की टंकी व फिल्टर प्लांट कांपानवारा में बनने के बाद लग रहा था कि पानी की आपूर्ति कभी बंद नहीं होगी। गर्मी से पहले सभी गांव तक पानी पहुंचाने के लिए पीएचई ने जल प्रदाय परीक्षण के साथ शुरू किया। जिला खनिज न्यास के 32.87 करोड़ की लागत से तैयार योजना अभी से दम तोड़ने लगा है। मातिन खास, भुजंगकछार, सखोदा सहित कई गांव में तकनीकी खराबी के कारण जल प्रदाय ठप हो गया है।
जल आपूर्ति बंद होने से प्रभावित गांव के ग्रामीण पुराने जल स्त्रोतों से गुजर बसर कर रहे हैं। समूह जल बंद होने से और अधिक फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से टेढ़ी-मेढ़ी हो रही हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे ग्रामीणों को मुक्ति दिलाने के दावों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। पानी की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों तक शुद्ध पेयजल प्रदान करने के लिए बांगो बांध से जिले का पहला समूह जल प्रदाय योजना शुरू की गई है। बताना होगा कि योजना का उद्देश्य पोड़ी-उपरोड़ा ब्लाक के 23 गांव के 38 हजार से भी अधिक फ्लोराइड प्रभावितों के शुद्ध पेयजल दिया जाना है। इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से छह साल पहले पहल की गई थी।
लोगों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए जिला खनिज न्यास मद से बांगो बांध का पानी गांवों तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया। मार्च 2017 में चोटिया समूह जल प्रदाय नाम से योजना को स्वीकृति दी गई। प्राक्कलन के अनुसार दो एमएलडी क्षमता वाली जल शुद्धिकरण संयंत्र के अलावा 110 किलोलीटर के वाटर टंकी के लिए विस्तार पाइप स्वीकृत किया गया। लंबे समय बाद काम पूरा होने के बाद भी लोगों योजना से राहत नहीं मिल रही। जल आपूर्ति नहीं होने की वजह क्या है इस संबंध में विभाग की ओर से अब तक जानकारी नहीं ली गइ है। जल प्रदाय के लिए प्रत्येक गांव में टंकी का निर्माण किया गया है। 25 किलोमीटर के दायरे में पाइप लाइन बिछाई गई है। कांपानवापारा में निर्मित फिल्टर प्लांट व टंकी से सभी गांव के टंकी में पानी भेजा जा रहा है। मातिनखास में निर्मित टंकी तक पानी नहीं पहुंच रहा। यही स्थिति भुजंगकछार, व सखोदा में भी देखी जा रही है। बताना होगा कि पोड़ी-उपरोड़ा ब्लाक जिले का सबसे बड़ा ब्लाक है। सभी फ्लोराइड प्रभावित गांवों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के तहत भी समूह जल प्रदाय योजना प्रस्तावित है। बांगो बांध से पानी देने की इस योजना में 245 गांव को शामिल किया जाना है। अभी तक काम शुरू नहीं किया गया है।
जल जीवन मिशन की शुरूआत वर्ष 2019 से हुई है। 1,305 करोड़ की लागत से दिसंबर 2024 तक 703 गांव के घर-घर पानी पहुंचाना है। प्रभावित क्षेत्र में दो पीपीएम तक फ्लोराइड की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार एक लीटर पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.5 पार्ट पर मिलियन (पीपीएम) से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रभावित गांवों में दो पीपीएम तक है। आठ से दस वर्षों तक फ्लोराइड युक्त पानी पीने से फ्लोरोसिस बीमारी का शिकार करीब 500 लोग हो गए हैं। पूरी आबादी के अनुपात में ढाई फीसदी लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं। 70 ऐसे प्रभावित लोग हैं जो शत-प्रतिशत इस रोग के चपेट में आ चुके हैं। इनकी मांसपेशी, हड्डियां व घुटने कमजोर हो चुकी हैं। कभी भी हड्डियों के टूटने की आशंका रहती है। कई लोगों की कमर झुक गए हैं। अधिक फ्लराइडयुक्त पानी पीने का परिणाम लंबे समय बाद आता है। पेट में ऐंठन से इसकी शुरूआत होती है। दांत पीले पड़कर सड़ने लगते हैं। लंबे समय तक फ्लोराइडयुक्त पानी का सेवन करने वाला कंकाल फ्लोरोसिस का शिकार हो जाता है और हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है। दिनचर्या के काम भी करने लायक नहीं रहता। कई पीढ़ियों से झेल रहे अभिशाप क्षेत्र के लोग कई पीढ़ी से फ्लोरोसिस बीमारी का दंश झेल रहे हैं।
घुंचापुर, आमाटिकरा, परला आदि ऐसे गांव हैं जहां प्रत्येक सदस्य अस्थि रोग से प्रभावित हैं। गांव में संचालित स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के दांत के पीलेपन और अस्थि बाधित होने से बीमारी का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। बीमारी के कारण युवावस्था के लोग खेतों, खलिहानों में क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर पाते। कार्य अक्षमता के कारण अधिकांश परिवार आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं। जिला खनिज न्यास मद से निर्मित समूह जल योजना के तहत जिन गांवों को शामिल किया गया है, उनमें चोटिया, कांपानवापरा, परला, लमना, आमाटिकरा, हड़मोर, मातिनखार, बनिया, लालपुर, घुंचापुर, भुजंगकछार, सखोदा, पोड़ी खुर्द, लाद, रोदे, फुलसर व कोरबी।