इलाज के लिए कर्मचारी और अधिकारी को अलग-अलग राशि देगी कंपनी
कोल इंडिया ने चिकित्सा के लिए बनाई नई नीति
कोरबा 27 मार्च। शरीर रचना विज्ञान (एनाटॉमी) हर इंसान के मामले में एक जैसी दृष्टि रखता है लेकिन कार्पोरेट कंपनियां अपने हिसाब से अंतर खोज लेती है। अलग-अलग व्यक्तियों के मामले में अंग विशेष के परीक्षण और उस पर होने वाले खर्च के लिए राशि भी भिन्न-भिन्न हो सकती है। कम से कम साउथ कोल इंडिया लिमिटेड तो ऐसा ही सोचती है। अधिकारियों और कर्मचारियों की आंखों से संबंधित समस्या और उपचार को लेकर जो नीति बनाई गई है उसमें राशि का निर्धारण कुछ इसी तरह से किया गया है। कर्मचारियों को जहां 10 हजार प्रतिपूर्ति प्राप्त होगी तो अधिकारियों को अधिकतम 50 हजार रुपए तक।
जानकारी में बताया कि 461वीं सीआईएल बोर्ड की बैठक में चिकित्सा उपस्थिति नियमों को लेकर चर्चा हुई और निर्णय लिए गए। इसमें कर्मचारियों की आखों से जुड़ी समस्या और चश्मे की प्रतिपूर्ति को शामिल किया गया। कुछ संशोधन किये गए जिसे मंजूरी दे दी गई। बताया गया कि कोल इंडिया ने अपने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से संबंधित नेत्र उपचार को लेकर जो नियम तय किया है उसके अंतर्गत सभी प्रकार के नेत्र रोगों के उपचार और संबंधित खर्च सहित त्रुटियों के सुधार के लिए प्रावधान की अनुमति होगी। इसमें तौर-तरीकों के आधार पर कर्मियों को 10 से लेकर 50 हजार तक का खर्च दिया जाएगा। इसमें कर्मचारियों के लिए केवल 10 हजार की प्रतिपूर्ति सीमा तय की गई है जबकि बोर्ड स्तर के अधिकारियों को 50 हजार, अधिकारी ई-8, ई-9 के लिए 45 हजार, ई-6, ई-7 के लिए 35 हजार, ई-4, ई-5 के लिए 30 हजार और ई-1, ई-3 के लिए 20 हजार रुपए की राशि तय होगी। 1 अप्रैल 2024 से अगले दो साल के ब्लॉक के लिए ये शर्तें प्रभावशील की गई है। अधिकतम सीमा में सुझाए गए पत्र के लिए इन्हें मान्य किया जाएगा।
कोल इंडिया के उप महाप्रबंधक विभागाध्यक्ष कार्मिक और नीति राजेश वी.नायर के द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि दृष्टि में सुधार के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ के द्वारा दी गई पर्ची और चश्मा खरीदने की तारीख 6 महीने से पुरानी होने पर दावा स्वीकार नहीं होगा। कोल इंडिया की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया कि कोल इंडिया की किसी भी कंपनी में भर्ती किये गए नए अधिकारी और कर्मचारी, प्रशिक्षण प्राप्त होने व इसकी पुष्टि व परीविक्षा अवधि के आदेश जारी होने के बाद इस सुविधा की पात्रता प्राप्त कर सकेंगे। प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया एसएपी माड्यूल के माध्यम से होगी। बताया गया कि नेत्र रोग विशेषज्ञों के परामर्श, नेत्र परीक्षण, नेत्र चिकित्सा आदि पर किये गए चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति मौजूदा चिकित्सा नियमों के अनुसार अलग से की जाएगी और इस योजना के तहत सीमा का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा।