प्रतिबंधित मार्ग पर भारी वाहन के परिवहन से बेमौत मर रहे लोग.. प्रशासन का खुला संरक्षण या कार्यवाही का अभाव ?
कोरबा . कोरबा कलेक्टर के कड़े निर्देश के बावजूद इंडियन ऑयल के साथ राखड़ और कोयले के भारी वाहनों का परिवहन खुलेआम प्रतिबंधित मार्गों पर हो रहा है प्रतिबंधित मार्गो में नियम विपरीत परिवहन को लेकर की गई शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है जिसके कारण इन मार्गों पर राखड़,कोयला और आइओसीएल की गाड़ियों का परिवहन किया जा रहा है आपको बता दे कुछ दिन पूर्व कई दुर्घटनाएं इन मार्गो पर घट चुकी है अलग अलग घटनाओं में दो-तीन लोगों की जान भी जा चुकी है बावजूद इन वाहनों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है।
प्रतिबंधित मार्गों पर परिवहन पर कार्रवाई के संबंध में संबंधित पुलिस को जानकारी देने पर रटा-रटाया जवाब मिलता है कि इस प्रकार की कार्रवाई को लेकर किसी प्रकार का अधिकार नहीं है जब रेत का अवैध उत्खनन परिवहन और भंडारण के संबंध में कार्रवाई की बात आती है तो पुलिस अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए माइनिंग विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर संयुक्त कार्रवाई कर प्रेस नोट रिलीज कर दिया जाता है, वही शराब को लेकर पुलिस सख्ती से पेश आती है अच्छी बात है की कार्रवाई अवैध कार्यों पर होना चाहिए इसके लिए पुलिस प्रशासन बधाई का पात्र है वही प्रतिबंधित मार्गों पर चलने वाले भारी वाहनों पर आरटीओ द्वारा कार्रवाई नहीं किया जाता है। क्या कार्यवाही के क्रम में अवैध शराब को लेकर आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, माइनिंग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के साथ पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयों को विशेष निर्देश समय-समय पर मिलने की आवश्यकता है या कार्रवाई का क्रम नियम के विपरीत कार्य करने वाले लोगों पर लगातार जारी रखने की आवश्यकता है।
जिले में अवैध रूप से संचालित होने वाले हर एक गतिविधियों पर सभी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को अपनी सहभागिता पूरी ईमानदारी पूर्वक त्वरित सुनिश्चित करने की आवश्यकता है ताकि अवैध कार्य में संलिप्तता रखने वाले लोगों पर कारवाई का भय बना रहे।
प्रतिबंधित मार्ग में परिवहन को लेकर जिला एवं सत्र न्यायालय के अधिवक्ता क्रितेंद्र कंवर ने बताया मेरे द्वारा किए गए शिकायत में अभी तक किसी प्रकार का कोई कार्रवाई नहीं की गई है वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ उच्च स्तरीय स्मरण पत्र के माध्यम मुख्यमंत्री सहित जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों को सूचित करने के बाद भी यदि कार्रवाई का अभाव रहता है ऐसी स्थिति में जन सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए माननीय न्यायालय के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करने की बात कही है।
अब देखने वाली बात होगी जनहित से जुड़े इस शिकायत पर कार्रवाई होती है या नहीं लेकिन एक बात तो स्पष्ट है भारी वाहनों के चलने के कारण जहां एक और दुर्घटनाएं घट रही है जनहानि हो रही है वही ट्रांसपोर्टों के निजी फायदे के कारण करोड़ों की सड़के जो आम जनों के हित में बनाई गई थी वह लगातार जर्जर हो रही है।