ग्राम सफलवा में मोबाइल नेटवर्क नहीं, पहाड़ पर ई.केवाईसी कराने की मजबूरी

कोरबा 11 फरवरी। जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर पाली विकासखंड के अंतिम छोर ग्राम सफलवा पहाड़ गांव आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में आते हैं। यह गांव आज भी दैनिक आवश्यकताओं से कोसो दूर है। विकास के नाम से खोखले दावे किए जाते हैंए जो इस पंचायत में दिखती है। आज के युग में इंटरनेट मोबाइल दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन चुका हैए परंतु इस क्षेत्र में मोबाइल लाभ लेने के लिए दूर जाना पड़ता है। घर से करीब 10 किलोमीटर दूर एक पहाड़ में आकर ग्रामीण अपने आवश्यक काम को मोबाइल इंटरनेट माध्यम से करते हैं। जो खतरों से खाली नहीं हैए क्योंकि क्षेत्र पहाड़ एवं जंगलों से घिरा है।

वन्य जीव जंतु का विचरण हमेशा लगा रहता हैए लेकिन ग्रमीण भी क्या करेंएजान जोखिम में डालकर अपनी आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए घर से दूर जाना ही पड़ता है। इस क्षेत्र में अधिकारी. कर्मचारी का आना जाना बहुत कम होता हैए इससे इस समस्या का निदान नहीं हो पा रहा है। यहां के ग्रामीणों को अपने कार्यों के लिए दर.दर भटकना पड़ रहा हैए इससे साफ देखा जा सकता है कि विकास की दावा कितना खोखला साबित रहा है। वर्तमान में ग्रामीणों को राशन कार्ड के लिए ई.केवाईसी कराने पहाड़ पर जाना पड़ रहा है। सुबह से ग्रामीण पहाड़ में जाकर इंटरनेट के माध्यम से ई. केवाईसी करा रहे हैंए अन्यथा उन्हें मार्च माह से राशन नहीं मिल पाएगा।

स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य कर्मी द्वारा लोगों का आयुष्मान कार्ड बनाया जा रहा हैए पर गांव में मोबाइल टावर नहीं होने के कारण आयुष्मान कार्ड नहीं बन पा रहा है। हर काम आनलाइन होने एवं क्षेत्र में मोबाइल इंटरनेट व्यवस्था नहीं होेने की वजह से भारी समस्याओं को सामना करना पड़ता है। कोई भी रिपोर्ट यह जानकारी साझा करना हो तो पीएससी सफलवा से करीब 15 किलोमीटर दूर आने पर सेवा मिल पाती है।

पहाड़ गांव का निवासी एवं उचित मूल्य की दुकान में काम कर रहा जीवन एक्का हितग्रहियों का ई. केवाईसी के लिए घर से करीब 10 मीटर दूर पहाड़ में आकर लोगों का केवाईसी कर रहा हैए ताकि कोई हितग्राही योजना से लाभ लेने से वंचित न रहे। उसका कहना है कि अगर ई. केवाईसी नहीं होने पर लोग राशन से वंचित हो जाएंगेए तो कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि हमारी समस्या किसको सुनाएंए कोई सुनने को तैयार ही नहीं है। इस क्षेत्र में नेताओं का आना.जाना चुनाव के समय ही रहता हैए बाकी हमारा कोई ख्याल नहीं रखता। यह एक अनुचित है पर हम क्या कर सकते हैं हमारी बातों को जिला या ब्लाक तक कौन पहुंचा है कोई जिम्मेदार व्यक्ति भी नहीं है।

पहाडगांव निवासी ललिता बाई 35 वर्ष का कहना है कि पिकअप गाड़ी व्यवस्था करके 15 से 20 परिवार की सदस्य अपना राशन कार्ड की ई.केवाईसी एवं आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए आए हैं। अभी विधानसभा चुनाव में ग्राम वासियों द्वारा चुनाव बहिष्कार करना चाह रहे थेए परंतु झूठे आश्वासन देकर चुनाव बहिष्कार करने के लिए मना कर दिया गया है। क्षेत्र में मोबाइल टावर नहीं होने से अनेक समस्याओं से हम लोग जूझ रहे हैं परंतु कोई नेता या फिर अधिकारी कर्मचारी हमारी सुध नहीं लेते। हमसे काम निकलना होए तो हमारे पास आकर अपना काम निकाल लेते हैं बाकी समय किसी को कोई मतलब नहीं रहता। आज देश बहुत आगे बढ़ गया हैए परंतु हम आदिवासी मोबाइल सेवा एवं अन्य सेवाओं से आज भी वंचित हैं।

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