टी.पी.नगर में अवैध दीवार पर चला बुलडोजर, निगम हुआ सख्त
व्यावसायिक परिसर में भी अनुचित निर्माण
कोरबा 09 फरवरी। किसी भी क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर सरकार ने अपनी सभी एजेंसी को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके अंतर्गत कोरबा जिले में इस प्रकार के नजारे लगातार सामने आ रहे हैं। नगरपालिक निगम की टीम ने शुक्रवार को सुबह ट्रांसपोर्ट नगर चौराहे के पास व्यवसायिक काम्प्लेक्स के सामने बनाई गई अवैध दीवार को नष्ट करने की कार्रवाई की।
प्रशासन की ओर से सर्व संबंधित तंत्र को इस बारे में निर्देशित किया गया है कि वह अपने क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण के बारे में न केवल जानकारी हासिल करें बल्कि इस दिशा में उचित कार्रवाई करें। अलग-अलग स्तर से मिल रही शिकायत के बाद ऐसे मामलों में कार्रवाई शुरू की गई है। नगर पालिका निगम की ओर से इसी श्रृंखला में शुक्रवार को सुबह ट्रांसपोर्ट नगर जोन के अंतर्गत रेलवे क्रॉसिंग चौराहे के पास व्यवसायिक काम्प्लेक्स के सामने परि इलेक्ट्रानिक्स के संचालक द्वारा बनाई गई अवैध दीवार को ढहाने की कार्रवाई की गई। इस तरह का काम करने से लोगों को असुविधा हो रही थी और वह अक्सर परेशान हो रहे थे। किसी व्यक्ति की ओर से इस बारे में नगर निगम को सूचना दी गई और कार्रवाई करने की मांग की गई जिस पर अधिकारी ने संज्ञान लिया और अपनी टीम को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया।
इलेक्ट्रॉनिक कारोबारी के द्वारा किये गए अवैध निर्माण को नगर निगम ने हाइड्रा के माध्यम से हटा दिया। तोड़ू दस्ते की प्रभारी इंजीनियर योगेश राठौर ने बताया कि अतिक्रमण को लेकर लगातार शक्ति की जा रही है और इसी श्रृंखला में हमने यह कार्रवाई की है। जहां कहीं भी इस प्रकार के मामले प्रकाश में आएंगे उसे पर निश्चित रूप से निगम कार्रवाई करेगा। नगर निगम ने नागरिकों और व्यवसाईयों को कहां है कि वह किसी भी कारण से कहीं पर भी इस प्रकार के अनुचित काम बिल्कुल ना करें ऐसे मामले जानकारी मैं आने पर बुलडोजर चलेगा। इससे पहले विभिन्न क्षेत्रों में अभियान चलाने के साथ निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है और सरकारी संपत्ति को बेजा कब्जा से मुक्त कराया गया है। इससे पहले कटघोरा एसडीएम ऋचा सिंह के निर्देशन में दारी क्षेत्र के अंतर्गत 15 एकड़ सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करने के साथ वहां पर इस आशय का बोर्ड लाया गया है की जमीन सरकारी है और इसका वास्तविक स्वामी सरकार का विभाग है। बताया जा रहा है कि आगामी दिनों में कई प्रकार की योजनाओं को क्रियान्वित करना है और इसके लिए सरकार को बड़ी मात्रा में जमीन की जरूरत है। ऐसे में स्वाभाविक रूप से उसे जमीन चाहिए ही और जब स्थितियां अनुकूल होंगी तो बड़ी तेजी से योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाना भी संभव होगा।
विभिन्न इलाकों में छोटे-बड़े अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई करने वाले नगर निगम के उस रवैया पर भी लोग हैरानी जता रहे है जिसमें वह अपने ही व्यावसायिक परिसरों की रक्षा नहीं कर पा रहा है। अलग-अलग योजना के अंतर्गत निगम के द्वारा व्यावसायिक परिसर से संबंधित दुकान लोगों को आमंत्रित की गई है और इसके लिए किराया निश्चित किया गया है। ऐसे मामलों में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि हितग्राही के द्वारा किसी भी तरह से अवैध निर्माण मौके पर नहीं किया जाएगा। इन सबसे परे हटकर कोरबा के ट्रांसपोर्ट नगर व्यावसायिक परिसर, शुभदा कॉम्प्लेक्स, गीतांजलि कॉम्प्लेक्स , घंटाघर , कादम्बरी जैसे स्थान पर हितग्राहियों ने लोगों के चलने के लिए बाहर के गलियारे तक अपनी दुकान बढ़ा ली हैं और उसे अवैध तरीके से घेर लिया है। जबकि उनके द्वारा नगर निगम को केवल मूल दुकान के लिए किराया का भुगतान किया जा रहा है। वहीं बाहरी परिसर को हथियाने के साथ अतिरिक्त फायदा प्राप्त किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी परेशानी ऐसे स्थान पर आने वाले लोगों को हो रही है। नगर निगम को इसकी पूरी जानकारी है लेकिन वह किन कारणों से कार्रवाई नहीं कर रहा है , यह समझ से पड़े।
लंबे समय से चलाए जा रहे अतिक्रमण विरोधी अभियान के बावजूद सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कोरबा नगर में रिकांडो रोड पर अतिक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। तिलक मार्ग, कुआभट्टा से लेकर बुधवारी चौराहे तक काफी लंबा चौड़ा हिस्सा अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया है। सीएसईबी और नगर निगम के स्वामित्व की जो जमीन इस इलाके में मौजूद है उसे लगातार हड़पने का काम चल रहा है। सबसे आश्चर्यजनक बातें रहेगी इस प्रकार की गतिविधियों को रोकने के लिए कोई भी विभाग अपनी ओर से ठोस कार्रवाई करने के मूड में नहीं है। छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादन कंपनी लिमिटेड के द्वारा नेहरू नगर क्षेत्र में तैयार किए गए सबस्टेशन के आसपास भी अतिक्रमण की तस्वीर न केवल दिखाई दे रही है बल्कि उनमें बढ़ोतरी भी हो रही है। इसके नजदीक से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक के आसपास भी सैकड़ो की संख्या में झोपडिया तैयार हो गई हैं और अब संबंधित लोग यहां तक बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं। अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए जाते हैं तो यह कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में और भी लोगों को मौके पर व्यवस्था देने के लिए रेलवे ट्रैक को कहीं और शिफ्ट करने के लिए योजना बनानी पड़ सकती है।