धान उठाव की गति धीमी, केंद्रों में 2.67 लाख क्विंटल धान जाम
खरीदी के लिए केवल 27 दिन शेष
कोरबा 28 दिसंबर। धान खरीदी शुरू होने के 53 दिन बीत जाने के बाद उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी का कार्य शीर्ष पर आ गया है। अब तक 8.08 लाख क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है। जिसमें 2.67 लाख क्विंटल धान उपार्जन केंद्रों में खुले आसमान के नीचे रखे हैं। जिस गति से खरीदी हो रही उसके मुकाबले उठाओ नहीं हो रहा। इसलिए उपार्जन केंद्रों में धान रखने की जगह कम पड़ने लगी हैं। ऐसे में बिना ड्रेनेज बनाए धान की छल्ली लगाई जा रही हैं।
चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी शुरू कर दी है। बोनस राशि पाने के बाद अब घोषणा पत्र के अनुसार 3100 रूपये प्रति क्विंटल कीमत पाने की आस में किसानों की भीड़ अब उपार्जन केंद्रों में उमड़ने लगी है। एक साथ अधिक संख्या मे किसानों के पहुंचने से उपार्जन केंद्रों में उन्हे अब धान बिक्री के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। लगभग सभी जगहों में धान कटाई का काम पूरा हो चुका है। केंद्रों में धान की आवक बढ़ने का सीधा असर उठाव पर पड़ रहा है। खरीदी के 72 घंटे के भीतर उठाव के निमय का पालन नहीं हो रहा है। मिलर्स अग्रिम डीओ कटवा रखे हैं, लेकिन मिल के गोदाम पहले से भरे हैं। उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी को 57 दिन बीत जाने के बाद अब तक एक अरब 76 करोड़ 53 लाख रूपये की धान खरीदी जा चुकी है। 48 हजार 295 पंजीकृत किसानों में से अभी तक 16 हजार 269 किसान धान की बिक्री कर चुके हैं।
उपार्जन केंद्रों में धान रखने के भूंसा की बोरियों का ड्रेनेज लगाकर ही छल्ली तैयार किया जाना है। चार साल के अंतराल में खोले गए 11 में से एक भी उपार्जन केंद्रों में शेड अथवा गोदाम का निर्माण नहीं किया गया। दादरखुर्द उपार्जन केंद्र बिना ड्रेनेज बनाए तिरपाल के ऊपर ही धान खरीदी की जा रही हैं। सड़क मार्ग से लगे उपार्जन केंद्रों के ही धान का उठाव हो रहा है। अधिकांश केंद्रों मे पांच से 10 हजार क्विंटल से भी अधिक धान जाम हैं। इनमें बरपाली में 11 हजार 366 क्विंटल, लबेद में 11 हजार 65, चौतमा में आठ हजार 136 व करतला में पांच हजार 408 क्विंटल शामिल हैं। धान रखने के लिए जगह कम होने से किसानों को खासी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
जिले के 32 हजार किसानों ने अभी भी धान की बिक्री नहीं की है। 53 दिन बीत जाने के बाद केवल 16 हजार 269 किसानों ने धान बेचा है। चुनाव के बाद नए सरकार गठन का इंतजार और बेमौसम वर्षा के कारण किसान उपार्जन केंद्र नहीं पहुंच पाए। अभी की कई किसानों के धान खलिहान में है। सरकार ने धान की खरीदी की अंतिम तिथि 31 जनवरी तय की है। सरकारी अवकाश व रविवार को छोड़ खरीदी के लिए केवल 27 दिन का समय शेष है। तिथि नहीं बढ़ी तो कई किसान धान बिक्री से वंचित हो जाएंगे। बोनस राशि का भुगतान होने के बाद किसान राशि आहरण के लिए बैंक पहुंच रहे हैं। सहकारी बैंकों में एटीएम की सुविधा नहीं होने कारण किसानों को नकद आहरण के लिए बैंक के सामने कतार लगानी पड़ रही है। बरपाली व कोरबा बैंक के सामने सुबह से दूर दराज से आए किसानों की भीड़ उमड़ जाती हैं। सहायक बैंकों पर्याप्त मात्रा में नकद की सुविधा नही होने की वजह किसानों को राशि आहरण के बगैर बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है।
हाथी के चट करने व रौंदने प्रभावित क्षेत्र के उपार्जन केंद्रों धान की आवक बहुत कम है। कोरबा के गुरमा और कटघोरा के एतमानगर क्षेत्र में 70 हाथी अलग-अलग दल में विचरण कर रहे है। प्रभावित क्षेत्र के समितिवार उपार्जन केंद्रों धान बेचने वाले किसानों की संख्या बहुत कम हैं। कोरबा सहकारी बैंक के अंतर्गत आने वाले 13 समितियों 3,127 किसानों ने ही धान बेचा है। इसी तरह पोड़ी उपरोड़ा सहकारी बैंक के 17 उपार्जन केंद्रों में 1,917 किसान ही अपना फसल बेच पाए हैं। फसल नुकसान के कारण दोनों ही क्षेत्रों 1000 से भी अधिक किसान धान बिक्री से वंचित हो गए हैं। उपार्जित धान को रखने के लिए 62 लाख बारदानों की आवश्यकता होगी। बीते वर्ष की तरह इस साल भी नए और पुराने बारदानों में खरीदी होगी। विपणन विभाग 34.50 लाख नए बारदानें उपलब्ध हैं। अगस्त माह से अब तक 11 लाख पुराने बारदानों का संग्रहण किया जा चुका है। वर्तमान में कुल उपलब्ध बारदाने 45.50 लाख हैं। अभी भी आवश्यकता की तुलना में 16.50 लाख बारदाने कम हैं। दो साल पुराने बारदानों में उपयोगी ढूंढ़ना मुश्किल हो गया है। जीर्ण बारदानों में भराई से धान बिखर रहे हैं।