75 करोड़ की लागत से जिले के पांच पुल को नए सरकार से हरीझंडी का इंतजार
कोरबा 11 दिसम्बर। सेतु निगम ने 75 करोड़ की लागत से जिले के पांच महत्वपूर्ण पुल निर्माण के लिए चार माह पहले प्राक्कलन तैयार कर कांग्रेस सरकार को भेजा गया था। जिन स्थानों में पुल का निर्माण होना है उनमें कसरेंगा से छुरी, गोपाल से नवापारा, लहरापारा से कुंभीपानी, लोड़ीबहरा से मातिन और भैरोताल से कपाटमुड़ा पुल शामिल है। नए पुलों के बन जाने से निकटवर्ती गांवों से 450 किलोमीटर की दूरी 210 किलोमीटर में सिमट जाएग। सत्ता का परिवर्तन हो चुका है, इस वजह से अब निर्माण कार्य की स्वीकृति पर संशय के बादल मंडराने लगा है।
आदर्श आचार संहित समाप्त हो चुकी है। नए सरकार के गठन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। सरकारी विभागों में नए और पुरानें कार्यों के प्रगति की कवायद भी शुरू हो चुकी है। अब उन कार्यों के स्वीकृति प सवाल उठने लगे हैं जिनके निर्मााण के लिए कांग्रेस सरकार ने विभागों प्राक्कलन मंगाए थे। लोकनिर्माण के सहायक विभाग सेतुनिगम में 75 करोड़ के महत्वपूर्ण के लिए लिए राशि मिलेगी या नहीं यह अब नई सरकार करेगी। बताना होगा कि कसरेंगा से छुरी के बीच अहिरन नदी पर पुल इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इसके अस्तित्व में आने से हरदीबाजार, दीपका तहसील सीधे अजगरबहार तहसील से जुड़ जाएगा। वर्तमान में हरदीबजार से अजगरबहार जाना हो तो कोरबा से रूमगड़ा होकर 60 किलोमीटर दूरी तय कर जाना पड़ता है। कसरेंगा से झोरा होते हुए इस दूरी को महज 30 किलोमीटर में तय किया जा सकेग। इसी तरह चौतमा के पास नरसिंहगंगा नाला गोपालपुर और नवापारा के बीच पुल की स्वीकृति होने पर पाली से कटघोरा विकासखंड की दूरी 20 किलोमीटर हो जाएगी। वर्तमान में मुख्यमार्ग से यह दूरी 50 किलोमीटर है। खारून नदी पर लहरापारा और कुंभीपानी के बीच पुल बनने पाली से पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड की पहुंच आसान होगी। इसी तरह पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में टेंटी नाला पर लोड़ी बहरा से मातिन और कटघोरा विकासखंड खोलार नाला में भैरोताल से कपाटमुड़ा के बीच पुल निर्मित होने 40 से भी अधिक गांवों की दूरी राष्ट्रीय राजमार्ग से कम हो जाएगी। अनुमान लगाया जा रहा कि कांग्रेस सरकार के आने निर्माण को स्वीकृति मिल जाएगा लेकिन सत्ता बदलने के साथ इन कार्यों को गति मिलेगी या यह नहीं अब नए सरकार के निर्णय पर निर्भर है।
नए पुलों के बनने से आसपास क्षेत्रों के विकास होने के साथ स्थानीय लोगों के स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे। अजगरबहार, सतरेंगा, कोसगाई, मातिन जैसे पर्यटन और एतिहासिक महत्व के स्थानों तक दूर दराज के लोगों को पहुंचने में सहूलियत होगी। आसपास के स्थानीय लोगों को शिक्षा, चिकित्सा के अलावा अन्य आवश्यक मूलभूत सुविधाओं के लिए लंबी दूरी का सफर तय नहीं करना पड़ा। स्थानीय लोग आर्थिक रूप से सुदृढ़ होंगे व उनके जीवन शैली में सुधार आएगी।
जिन पुलों के निर्माण के लिए स्वीकृति नही मिली उनके अस्तित्व में आने पर संशय बरकरार है। वहीं झोरा एक ऐसा पुल है जिसका 90 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। पुल के अस्तित्व में आने के लिए एप्रोच मार्ग निर्माण की आवश्यकता है, लेकिन इसके लिए निजी जमीन आड़े आ रही है। सेतु निगम ने आवश्यक जमीन का मुआवजा प्रकरण निपटारा करने के लिए राजस्व विभाग को पत्र लिखा है। आचार संहिता के कारण इस प्रकरण का निपटारा नहीं हो पाया है।
नए पुल के निर्माण के लिए सेतु निगम प्राक्कलन कांग्रेस सरकार को भेजा था, जिसमे पुल के निर्माण स्थल कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों के इशारे पर हुआ। अब चूंकि सत्ता बदलने से नए सरकार के कायकर्ताओं के भी स्वर बदल चुके हैं ऐसे में पुराने प्राक्कल में निर्माण के लिए स्थल बदलने की संभावना बढ़ गई है। साथ ही निर्माण कार्य की निविदा के लिए चहेते ठेका कंपनियों की सक्रियता भी बढ़ गई है।