शहर के 03 रेत भंडारण किये गए निरस्त, गाइडलाइन उल्लंघन पर हुई कार्यवाही
कोरबा 04 अगस्त। माइनिंग गाइडलाइन का उल्लंघन कर धड़ल्ले से रेत उत्खनन और भंडारण करने वाले शहर के तीन भण्डारण के लाइसेंस को निरस्त कर दिया गया है। भंडारण के नाम पर अवैध उत्खनन कर रेत को महंगे दाम पर बेचने वाले रेत ठेकेदारों की शिकायत लगातार मिल रही थी। शिकायत की जांच पर पता चला कि भण्डारण की आड़ में नदी से रेत की अवैध रूप से निकासी की जा रही थी। जांच रिपोर्ट पर टास्क फोर्स की टीम ने माइनिंग गाइडलाइन का उल्लंघन करने पट्टा धारियों का लाइसेंस निरस्त करने की बात कही थी। कमेटी की अनुशंसा और तत्कालीन कलेक्टर के निर्देश के बाद भंडारण नियमों की अनदेखी कर रेत बिक्री करने वाले पट्टाधारियो के लाइसेंस को निरस्त किया गया है।
इनमें बरमपुर में संचालित रेत भंडारण पट्टाधारी सुनील, सीतामणी रेत घाट के समीप भंडारण का लाइसेंस लेकर नदी से निकालकर बेचने वाले सागर सोनी तथा बरबसपुर रेत भण्डारण पट्टाधारी अतुल जैन का भी लाइसेंस निरस्त किया गया है। बताया जा रहा हैं की कार्यवाही से पहले रेत कारोबारियों के द्वारा गैर स्वीकृत और बंद पड़े रेत घाटों से अवैधानिक रूप से खनन कर भंडार की गई अवैध रेत को बाजार में महंगे दाम पर बेचकर लाखों रुपए की आय अर्जित की गई है। इसे अब जिला प्रशासन रिकवरी तो कर नहीं सकता लेकिन रेत भंडारण का लाइसेंस निरस्त होने के बाद यह यक्ष प्रश्न उठाना लाजिमी हैं कि क्या अवैध रूप से खनन कर अवैध रूप से भंडार कराई गई रेत की जप्ती खनिज अथवा राजस्व विभाग करेगा? क्या अवैध रूप से खोदी गई रेत को फिर से नदी में समाहित कराया जाएगा या फिर भंडारण की ली गई अनुमति से कहीं ज्यादा क्षेत्रफल में भंडार की गई अवैध रेत के कारोबारी को वही छूट दी जाएगी जो अब तक प्राप्त करते हुए अवैध रेत बेचकर मोटी रकम कमा रहे हैं और जरूरतमंद जनता की जेब पर डाका पड़ रहा है।
मसाहती ग्राम बरबसपुर में 7050 टन रेत भंडारण के लिए अतुल जैन के द्वारा अनुमति चाही गई थी। इस संबंध में हल्का पटवारी से तहसील कार्यालय द्वारा प्रतिवेदन चाहा गया। पटवारी ने विभिन्न बिंदुओं पर सौपे प्रतिवेदन में एक बिंदु में यह भी लिख किया कि उक्त निजी भूमि हसदेव नदी से लगा हुआ क्षेत्र है। पटवारी प्रतिवेदन के आधार पर नायब तहसीलदार ने खनिज विभाग को अनुमति हेतु पत्र 30/11/2021 को लिखा तो उसने कंडिका नंबर 7 में इसी बिंदु को परिवर्तित करते हुए लिखा कि आवेदित क्षेत्र हसदेव नदी से 100 मीटर की अधिक दूरी पर स्थित है। स्पष्ट है कि रेत भंडारण की अनुमति चाहने वालों को किस तरह लाभ पहुंचाया जाता है।