खदान में चोरी रोकने सुरक्षा बल चलायेगी नया दांव
कोरबा 31 जुलाई। कुछ दिनों की शांति के बाद औद्योगिक जिले की गेवरा, दीपका और कुसमुंडा स्थित कोयला खदान में शातिर कोयला और डीजल चोरों की हरकतें फिर से शुरू हो गई है। दावा किया जा रहा है कि अबकी बार विकास सिंह नामक व्यक्ति को इसकी जिम्मेदारी मिली हुई है। जिसका संबंध सत्ताधारी दल के छात्र संगठन से होना बताया जा रहा है। उसके नेतृत्व में चोर.उच्चक्के अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। खदानों में चोरों की दखल और चोरियां रोकने के लिए सुरक्षा बल लगातार नए दांव चल रहा है। एक कोशिश की कापी करने के बाद अब सुरक्षा बल ने लेटेस्ट फार्मूला हाथ में लिया है। इससे चोरों को काफी दिक्कतें हो रही है।
साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड का नाम कोल इंडिया सूची में उन कंपनियों में शुमार है जो सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन करने के साथ देश की इंधन आवश्यकताओं को पूरा करती है और अधिकतम राजस्व अर्जित कर रही है। एसईसीएल के सकल लक्ष्य का 60 प्रतिशत कोयला उत्पादन कोरबा जिले की खदानों से हो रहा है। यहां पर पर्याप्त मानव संसाधन के साथ मशीनरी और अन्य व्यवस्थाओं पर कोल इंडिया विशेष रूप से ध्यान दे रही है। ये सब कोयला उत्पादन के मामले में सकारात्मक पहलू है लेकिन इसके ठीक उल्टे कोयला खदानों का दायरा बढऩे और इसकी संरचना ओपनकास्ट की होने का सबसे ज्यादा अनुचित फायदा शातिर माफिया और चोर गैंग उठा रही है। काफी समय से इस तरह की गतिविधियां कोरबा जिले की बड़े मेगा माइंस में चलती रही है। इसी के साथ निगरानी और नियंत्रण के लिए सुरक्षा संबंधी जतन किये जाते रहे हैं। लगातार दबाव पडऩे के नतीजन कुछ पखवाड़े पहले अवैध काम में शामिल लोगों को आखिरकार हथियार डालने पड़े। नई खबर यह है कि अज्ञात कारणों से चोरी.चकारी का काम करने वालों को कहीं से संजीवनी शक्ति मिल गई है और वे फिर से खदानों में पहुंचने के साथ अपने कामकाज को करने में साहस दिखा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसे कारनामों को हतोत्साहित करने और हर हाल में चोरों को नेस्तनाबूत करने के लिए सुरक्षा बल ने रणनीतिक फैसला लिया है। इसके अंतर्गत खदानों में चलने वाले किराये के वाहन कैम्पर और बोलेरो में अनिवार्य रूप से लाल झंडे लगाए गए। उद्देश्य यह था कि ऐसे में कर्मचारियों और सुरक्षा प्रबंधन को साफ दिख सके कि उनके अपने वाहन कौन से हैं। कुछ दिन के बाद ही चोरों ने इस फार्मूले की नकल की और चोरी चकारी करने के लिए अपनी गाडिय़ों में ऐसे झंडे लगा लिये। ऐसे में समस्या बढ़ गई। इसलिए अब नया पैतरा अमल में लाया गया है।
इसके तहत एसईसीएल माइंस में किराये पर चलने वाले वाहनों में पीली बत्ती लगाई जा रही है। इसके लिए कई नियम हैं और प्रक्रियाएं भी। यह विकल्प अपनाने के कारण चोरों को कुछ नहीं सूझ रहा है कि अब वे क्या करें। सुरक्षा बल को पूरी आशा है कि अगर किसी भी तरह से मनमानी हरकत की जाएगी तो चोर हमारे हत्थे चढ़ जाएंगे और उन्हें जबरदस्त सबक सिखाया जाएगा।